भोपाल
मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों से जुड़ी जरुरी खबर सामने आई है। स्कूल शिक्षा विभाग ने अतिथि शिक्षकों के लिए “हमारे शिक्षक” ऐप पर ई-अटेंडेंस दर्ज करना अनिवार्य किया है, लेकिन कई शिक्षक इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए निर्देश जारी किए हैं कि 18 जुलाई, 2025 से जो अतिथि शिक्षक ई-अटेंडेंस नहीं लगाएंगे, उन्हें गैरहाजिर माना जाएगा और उनका मानदेय रोका जाएगा।
ई-अटेंडेंस के चौंकाने वाले आंकड़े
विभाग ने सभी जिलों में अतिथि शिक्षकों की ई-अटेंडेंस की स्थिति की समीक्षा की तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। किसी भी जिले में 50 प्रतिशत से अधिक ऑनलाइन अटेंडेंस दर्ज नहीं हुई है। कई जिलों में यह आंकड़ा मात्र 10 से 20 प्रतिशत के बीच है, जबकि अनूपपुर जिले में ई-अटेंडेंस शून्य प्रतिशत रहा। स्कूल शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि “हमारे शिक्षक” ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करना अब अनिवार्य है।
"हमारे शिक्षक" ऐप से अनिवार्य की गई उपस्थिति
स्कूल शिक्षा विभाग ने इस शैक्षणिक सत्र से गेस्ट टीचर्स की अटेंडेंस मोबाइल ऐप "हमारे शिक्षक" के जरिए दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अब शिक्षक की उपस्थिति सिर्फ ऐप के माध्यम से ही मान्य मानी जाएगी।
हालांकि, अभी तक कई गेस्ट टीचर्स इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। इस पर लोक शिक्षण आयुक्त ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि लगभग 80% अतिथि शिक्षकों ने ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं की है, जो कि बहुत ही निराशाजनक है।
18 जुलाई से अटेंडेंस नहीं तो वेतन नहीं
मध्यप्रदेश में गेस्ट टीचर्स के लिए शुरू की गई ई-अटेंडेंस व्यवस्था जुलाई माह के पहले पंद्रह दिनों में बुरी तरह विफल साबित हुई है। अब स्कूल शिक्षा विभाग ने इसको लेकर सख्त रुख अपनाते हुए सभी जिलों शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 18 जुलाई से जिन अतिथि शिक्षक-शिक्षिकाओं की उपस्थिति (ई-अटेंडेंस) ‘हमारे शिक्षक’ ऐप के माध्यम से दर्ज नहीं होगी, उन्हें अनुपस्थित माना जाएगा और उनका मानदेय भी रोका जाएगा।”
ई-अटेंडेंस नहीं लगाई तो रुकेगा मानदेय
विभाग ने साफ कहा है कि सभी गेस्ट टीचर्स को सूचना दी जाए कि अगर वे "हमारे शिक्षक" ऐप से अटेंडेंस दर्ज नहीं करते हैं, तो उन्हें गैरहाजिर माना जाएगा और उनका मानदेय नहीं मिलेगा।
यह ई-अटेंडेंस की व्यवस्था 1 जुलाई 2025 से शुरू की गई है। लेकिन पहले 15 दिन की समीक्षा में सामने आया कि 80% से ज्यादा गेस्ट टीचर्स ने ऐप से अटेंडेंस नहीं लगाई है।
गेस्ट टीचर्स की ई-अटेंडेंस की रिपोर्ट जारी
शिक्षा विभाग ने हमारे शिक्षक’ ऐप से अटेंडेंस नहीं लगाने वाले शिक्षकों को अब अनुपस्थित मानते हुए वेतन न देने का निर्णय लिया गया है। शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के गेस्ट टीचर्स की ई-अटेंडेंस पर आधारित रिपोर्ट जारी करते हुए निर्देश दिए हैं कि इसे सख्ती से लागू किया जाए। वहीं, अतिथि शिक्षक संघ ने आपत्ति जताते हुए स्पष्ट किया है कि जब तक उन्हें अवकाश जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलतीं, तब तक वे ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज नहीं करेंगे।
गेस्ट टीचर्स ने नहीं लगाई ई-अटेंडेंस
दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग ने इस शैक्षणिक सत्र से गेस्ट टीचर्स की उपस्थिति मोबाइल ऐप ‘हमारे शिक्षक’ के माध्यम से दर्ज करना अनिवार्य कर दिया है। बावजूद इसके, बड़ी संख्या में अतिथि शिक्षक अब तक इस निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं। इस लापरवाही पर लोक शिक्षण आयुक्त ने गंभीर नाराजगी जताते हुए कहा कि लगभग 80% गेस्ट टीचर्स ने ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं की है, जो कि अत्यंत चिंताजनक और निराशाजनक स्थिति है।”
शिक्षकों का एक वर्ग इस व्यवस्था का कर रहा विरोध
विभाग का कहना है कि यह कदम शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है। हालांकि, शिक्षकों का एक वर्ग इस व्यवस्था का विरोध कर रहा है, उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या और ऐप की तकनीकी खामियों के कारण यह प्रणाली अव्यवहारिक है। इस सख्ती के बाद अब देखना होगा कि अतिथि शिक्षक इस नियम का पालन करते हैं या विरोध और तेज होता है।
डिंडोरी जिले में 50 प्रतिशत से ज्यादा उपस्थिति
शिक्षा विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश के 55 जिलों में से केवल डिंडोरी ऐसा जिला है जहां अपेक्षाकृत बेहतर ई-अटेंडेंस दर्ज की गई है। यहां 57% गेस्ट टीचर्स ने ‘हमारे शिक्षक’ ऐप के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज की। इसके बाद झाबुआ में 48%, खरगोन में 45%, तथा नरसिंहपुर और शहडोल में 44-44% गेस्ट टीचर्स की अटेंडेंस दर्ज की गई।
वहीं दूसरी ओर, अनूपपुर जिला सबसे पीछे रहा, जहां 17 गेस्ट टीचर्स में से किसी ने भी एक भी दिन उपस्थिति दर्ज नहीं की। इसी तरह निवाड़ी और अलीराजपुर में मात्र 7-7% और मऊगंज और हरदा में 8-8% अटेंडेंस ही रिकॉर्ड की गई है। यह आंकड़े ई-अटेंडेंस व्यवस्था की जमीनी स्थिति को लेकर गंभीर चिंता पैदा करते हैं।
"जब तक अवकाश की सुविधा नहीं मिलेगी, नहीं लगाएंगे ई-अटेंडेंस"
अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुनील परिहार ने स्कूल शिक्षा विभाग की ई-अटेंडेंस अनिवार्यता पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि पिछले 17 सालों में अतिथि शिक्षकों को एक भी अवकाश की सुविधा नहीं दी गई है, जबकि अतिथि विद्वानों को यह सुविधा उपलब्ध है।
परिहार ने कहा, हमारे पास न तो दुर्घटना बीमा है और न ही महिला शिक्षकों को प्रसूति अवकाश मिलता है। कई अतिथि शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें मात्र ₹10,000 मानदेय मिलता है और वे पिछले चार महीनों से बेरोजगार हैं। कई के पास स्मार्टफोन तक नहीं हैं, ऐसे में वे ई-अटेंडेंस कैसे लगाएं?