गंगा दशहरा के पुजन की विधि निम्नलिखित चरणों में होती है:
स्नान (शुभ मुहूर्त में): पहले लोग गंगा नदी में शुभ मुहूर्त में स्नान करते हैं। इसे गंगाजल का महत्व माना जाता है।
पूजा-अर्चना: स्नान के बाद, लोग गंगा के तट पर बैठकर पूजा करते हैं। इसमें गंगा माता की आराधना, अर्घ्य देना और मंत्रों का जाप शामिल होता है। विशेष रूप से गंगा अष्टोत्तर शतनामावली और गंगा स्तोत्र रचा जाता है।
दान: इस अवसर पर दान करना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग गंगा के तट पर अन्न, वस्त्र, धन आदि दान करते हैं।
आरती: पूजा के अंत में गंगा आरती की जाती है। इसमें गंगा माता की महिमा गाई जाती है और उसकी पूजा की जाती है।
प्रसाद: पूजा के बाद प्रसाद बांटा जाता है, जिसे सभी लोग लेते हैं। यह प्रसाद भक्तों को आशीर्वाद और पवित्रता देता है।
इन चरणों के माध्यम से गंगा दशहरा का पुजन किया जाता है और इस अवसर पर गंगा माता की कृपा प्राप्त की जाती है।