सरकार के नीति आयोग द्वारा कर्मचारियों के अधिकारों पर हो रहे हमले के विरोध में बीएमएस की गेट मीटिंग
निजीकरण के खिलाफ बीएमएस सांसद के माध्यम से प्रधानमंत्री को सौपेगा ज्ञापन
आम सभा ,भोपाल।
भारतीय मजदूर संघ भेल भोपाल द्वारा भेल के फाउंड्री गेट पर विशाल द्वार सभा का आयोजन किया गया। नीति आयोग ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को स्ट्रेटेजिक इन्वेस्टमेंट (विनिमेश) के लिये 28 उद्योगों को सूचीबद्ध किया है।
अतः इसका हेवु – बीएमएस पुरजोर विरोध करती हैं। यूनियन के उपाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी सतेन्द्र कुमार ने बताया कि निजीकरण समाधान नही एक विकराल समस्या है। अगर कोई सार्वजनिक उद्योग लाभ अर्जित नही कर रहा है तो सरकार उसका प्रबंधन ठीक करे। उन्होंने अगाह किया कि हमारी यूनियन किसी भी स्तर तक सड़क से संसद तक एवं भोपाल से दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन एवं आंदोलन करेगी। आने वाले दिनों में निजीकरण के खिलाफ बीएमएस द्वारा संसद के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौपेगा। भेल इतिहास में इक्का – दुक्का वर्ष निकाल दिया जाय तो लगातार मुनाफा कमाया है एवं लाभांश सरकार की झोली में डाला है। भेल उत्पादन के साथ साथ सामाजिक दायित्व का भी कार्य करता रहा है अतः राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका अदा करता रहा है।
भारतीय मजदूर संघ पिछले 22 – 23 जुलाई को नीति आयोग के मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ राष्ट्र व्यापी आंदोलन एवं भारी विरोध किया था। जिसके परिणाम स्वरुप नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यूनियन के अध्यक्ष विजय सिंह कठैत ने कहा कि भेल प्रबंधन कर्मचारियों के पीपीपी बोनस का शीघ्र भुगतान करें। उन्होंने कहा कोई भी पीएसयू का निजीकरण न हो चाहे लाभ अर्जित करने वाला उद्योग हो या गलत प्रबंधन के कारण लाभ अर्जित न कर रहे हो। पिछले साल नवंबर में बीएमएस संसद का घेराव किया जिसमें भेल भोपाल से 200 की संख्या में कर्मचारी शामिल हुये थे।
यूनियन के महामंत्री कमलेश नागपुरे ने इस आंदोलन को जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा यह हमारे लिए संकट का दौर है। समस्त मजदूरों एवं उनके भविष्य का सवाल है। इसकी रक्षार्थ हम सभी एकजुट होकर लड़ाई लड़नी है। विनिवेश – निजीकरण के फैसले को वापस लेना ही होगा।
नीति आयोग एवं आई. डी. एफ. सी. इंस्टीट्यूट का यह निष्कर्ष है कि श्रम कानूनों में संशोधन के बिना औद्योगिक प्रगति एवं रोजगार सृजन संभव नहीं है, यह आधार हीन तथ्य है। भारतीय मजदूर संघ ऐसे अध्ययनों को वास्तविकता से परे मानता है। विगत में भी ऐसी बहुत सारी संस्थाएं एवं तथाकथित विशेषज्ञों ने अध्ययन करके ऐसे ही निष्कर्ष निकाले हैं । सामान्यतया ऐसे अध्ययन प्रायोजित होते हैं, निष्कर्ष पूर्व नियोजित होते हैं। ऐसे अध्ययनों एवं रिपोर्टों के माध्यम से देश व समाज में एक ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास हो रहा है जिसमें श्रमिक व श्रम कानून औद्योगिक विकास व रोजगार सृजन में सबसे बड़ी बाधा है, यह बात स्थापित हो जाए।
ऐसे अध्ययनों के निहितार्थ वास्तविकता से कोसों दूर है एवं दुनिया के जिन देशों एवं भारत के जिन प्रदेशों में श्रम कानूनों को बदल दिया गया है, वहां के परिणाम इन कथित शोधकर्ताओं के निष्कर्ष से बिल्कुल उलटे हैं पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी तथा औद्योगिक प्रगति में ठहराव एवं बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई है।
अभी भेल टाउनशिप एवं मेडिकल की हालत बहुत ख़राब है। प्रबंधन को आवश्यकता थी तो नई टाउनशिप निर्माण करने की चुकी क्वाटर्स के छत गिर रहा है। मेडिकल में स्पेशलिस्ट डॉक्टर की भारी कमी है।
यूनियन के महामंत्री कमलेश नागपुरे ने कहा कि सरकार के नीतिओ से बेरोजगारी बढ़ी है एवं मजदूरों पर आक्रमण बढे हैं।
भारतीय मजदूर संघ नीति आयोग सहित सरकार के अन्य समस्त नीति निर्माण संस्थानों से आग्रह करता है कि आर्थिक नीति का टुकड़ों-टुकड़ों में विचार करने की प्रक्रिया का परित्याग किया जाए एवं समग्र आर्थिक नीति का एक मुश्त आंकलन एवं नीति निर्धारण करें तब ही बेरोजगारी एवं औद्योगिक प्रगति सहित अन्य समस्त मुद्दों पर ठीक नीति तैयार हो सकती है।
इस महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर बीएमएस के पब्लिक सेक्टर एम्प्लाइज नेशनल कॉन्फ़ेडरेशन (PSENC) के आह्वान पर इन नीतिओ के खिलाफ लगातार आंदोलन किये जायेंगे। आभार यूनियन के उपाध्यक्ष रोहित कुमार ने व्यक्त किया।यूनियन के अनिल कुमार, प्रदीप अग्रवाल, विनोद विशे, रमेश कुराड़िया, रामनंदन सिंह, दीपक गुप्ता, शिशुपाल यादव, अमित साहु, धर्मेंद्र गुप्ता, इमरान अली, अमित कुमार, विजय रावत, लक्ष्मण प्रसाद, गजेंद्र बंछोड, गजेंद्र लिल्हारे, रविन्द्र एवं भारी संख्या में कर्मचारीगण द्वार सभा में मौजूद थे।