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आत्मिक कल्याण का मुख्य साधन है भगवान भक्ति-कथा : व्यास रेवाशंकर शास्त्री

(संवाददाता-उमेश चौबे)
आम सभा,सिलवानी।

सिलवानी के सरस्वती नगर में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा आयोजन रविशंकर शर्मा सुरेश शर्मा गणेश शर्मा श्याम सुंदर शर्मा विपिन शर्मा सौरभ शर्मा के द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन सरस्वती नगर में किया जा रहा है कथा व्यास रेवाशंकर शास्त्री ने कहा कि आत्मिक कल्याण का मुख्य साधन है भक्त जव भगवान ही बगैर
दिखावा और आडंबर से दूर रह कर भक्ति करता है तो भगवान उस की भक्ति से
सदैव ही प्रसन्न रहते हैं । भगवान प्रसन्न होने के साथ ही भक्त का जीवन
सवारने के साथ ही मृत्यु भी संवार देते है। आवश्यकता इस बात की है कि
व्यक्ति सच्चे मन से निस्वार्थ भाव से भगवान की भक्ति करता रहे। दिखावा
और आडंबर से दूर रहे। तभी वह भगवान को पा सकता है। अन्यथा उसका जीवन कठिनाईयो में रहता हैं। व्यक्ति को चाहिए कि वह प्रतिदिन कम से
कम एक घंटा प्रभु स्मरण करे । भगवान हमेशा ही भक्त के सात्विक भाव से
मिलते है। ना कि धन और दौलत से। पंडित रेवाशंकर शास्त्री ने बताया कि संत, ग्रंथ, सत्संग व भक्त मिलन भगवान की कृृपा से ही संभव हो पाते है। मानव यदि संत, ग्रंथ व सत्संग का लाभ लेना
चाहता है व जीवन को सुखी समृद्व बनाना चाहता है तो उसे सत्य के रास्ते का
अनुशरण कर धर्म रुपी आचरण को जीवन का हिस्सा बनाना होगा। अन्यथा जीवन में
सुख को प्राप्त नही किया किया सकता है। जन्म से मृत्यु तक सदैव ही मानव
की यात्रा चलती रहती हैं। जो व्यक्ति धर्म का विनाष कर स्वयं को सव कुछ
मान लेता है उसकी आयु, पुण्य व धर्म स्वतः ही नष्ट हो जाता हैं। पंचम दिवस की कथा का समापन आरती कर किया गया।

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