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टसर के कपड़े पर अगरबत्ती से जलाकर बनता है कट वर्क

आम सभा, भोपाल : विशकर शुक्ल कम्युनिटी हॉल में 17 दिवसीय प्रदर्शनी सिल्क बाख्या का शुभारमहा इस प्रदर्शनी में देश के कई राज्यों के सिल्क बनकरों बने 2008 ज्यादा तरह के सिल्क का प्रदर्शन किया है। सिल्क पर ठेठ देसी ढंग से होने वाले परपरागत । कढ़ाई और बुनाई का काम लोगों को अपनी ओर खींच रहा है। सिल्क बुनकरों के उत्थान के लिए काम कर रही है संस्था हस्तशिल्पी द्वारा इस प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है प्रदर्शनी के आयोजक टी अभिनंदन ने बताया कि रविशंकर शुक्ल कम्युनिटी हॉल में आयोजित सिल्क इंडिया प्रदर्शनी का मकसद ग्रामीण क्षेत्र के सिल्क बुनकरी को विपणन के लिए उचित जगह उपलब्ध कराना हाइस प्रदर्शनी मशकविभिन्न राज्यों। से आए सिल्क बुनकरी ने अपनी कला का प्रदर्शन किया है।

प्रदर्शनी में बनारस से आए जमाल ने अपने हाथों से बनी यही साड़ी को प्रदर्शित किया । प्योर जरी से बनने वाली साडी महीने में बन पाती। इसमें ताने और बानेन सिंगल बागा। ही चलता है। यही कारण है कि इस साड़ी की कीमत 10 हजार के करीब है। असमिया धागे से बनी खडी साड़ी जरीका काम भी देखने लायक है। कोलकाता से आए सपनभद्र अपने साथ कट वर्क की साड़ियां लाए है। टसर भूगा पर पहले डबक किया जाता है और फिर इसे अगरबत्ती से जलाकर कट वर्क होता है। साड़ी को अगरबत्ती से चलाने का काम काही सावधानी से किया जाता है। जरा सी लापरवाही से साड़ी खराब हो सकती है। कट वर्क की साड़ी को देखकर प्रतीत नहीं होता की अगरबत्ती से जला कर तैयार किया गया है। टी अभिनन्द ने बताया कि प्रदर्शनी में डाका सिल्क भी प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी सितबर तक चलेगी।

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