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सुशासन में मातृशक्ति का योगदान अहिल्या जी का जीवन : टोपलाल वर्मा

रायपुर

महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय में पुण्य श्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह मनाया गया .इस अवसर पर मुख्य प्रवक्ता के तौर पर  प्रांत संघचालक राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ श्री टोपलाल वर्मा अहिल्याबाई होलकर समिति के सचिव संजय जोशी,सकल गुजराती समाज के अध्यक्ष कौशिक दत्ताकार तथा महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष श्री अजय कालेकर एवं महंत कॉलेज के प्राचार्य डॉ देवाशीष मुखर्जी  की विशेष उपस्थित रही।

आयोजन में मुख्य प्रवक्ता श्री टोपलाल वर्मा ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से जानकारी रखी उन्होंने बताया कि किस तरह से लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का संपूर्ण जीवन सभी वर्गों के लिए समर्पित रहा है उनका कहना था कि देश में मंदिरों के पुनर्निर्माण का काम प्रारंभ हुआ है यह भी लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की विचारों की देन है। 12 ज्योतिलिंर्गों की स्थापना में लोकमाता का स्थान रहा है न्याय प्रिय धार्मिक कार्यों में आगे बढ़कर हिस्सा के साथ ही सदाचारिता की शिक्षा देने पर अहिल्याबाई होल्कर का विशेष स्थान पाया जाता है।  देश में दत्तक पुत्र की परंपरा को प्रारंभ करने का श्रेय भी लोक माता को है ,महिला सशक्तिकरण सामाजिक सुरक्षा इत्यादि में भी लोकमाता के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता उन्हें भ्रष्टाचार पसंद नहीं था वह एक न्याय प्रिय  एवम सुशासन के लिए जानी जाती थी, आज भी पूरे देश में कठोर शासन व्यवस्था के साथ न्यायवादिता के लिए अहिल्याबाई होल्कर को जाना जाता है पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में भी देवी अहिल्याबाई होल्कर की विशेष भूमिका रही है जिसे आज देश आत्मसात करके आगे बढ़ रहा है उनके देखे गए सपने भारत एक हिंदू राष्ट्र बनेगा सशक्त राष्ट्र बनेगा इसी विचार पर देश की केंद्रीय शक्ति काम कर रही है अहिल्याबाई होल्कर की सोच एकात्मकता की रही है।

आयोजन में सकल गुजराती समाज के अध्यक्ष कौशिक दत्ताकार करने भी विचार रखें उन्होंने बताया कि समाज किस तरह से निरंतर कार्य कर रहा है अहिल्याबाई होलकर की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनका कहना था कि पूरी मानवता के लिए कार्य करने वाली महिला रही है देश फिर से सोने की चिडि?ा बनेगा यह सपना हम सभी भारतीय मिलकर पूर्ण करेंगे व्यक्ति को खुशी धन कमाने से नहीं मिल सकती किसी की समस्या को हल करने में खुशी मिल सकती है।आयोजन की शुरूआत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर देवाशीष मुखर्जी ने स्वागत उद्बोधन रखा और महारानी अहिल्याबाई होलकर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए देश में चुनिंदा महारानी रही है जिनके नेतृत्व को पूरा देश समर्पित होकर स्मरण करता है और जानता है इसमें से महारानी देवी अहिल्याबाई होलकर रही है मुगल शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए डॉक्टर मुखर्जी ने कहा कि किस तरह से मुगल वंशियों ने देश की विरासत को मिटाने का प्रयास किया था कार्यक्रम में मंच संचालन  डॉ. अर्चना मोढक के द्वारा किया गया आभार प्रदर्शन प्रोफेसर अपूर्वा शर्मा ने रखा।  कार्यक्रम में सभी प्राध्यापक एवम बड़ी संख्या में छात्र छात्रओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।