नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को लेकर कांग्रेस के रुख में बदलाव देखने को मिल रहा है. सूत्रों के मुताबिक सपा-बसपा (SP-BSP) की तरफ से कांग्रेस को नया ऑफर मिला है. बताया जा रहा है कि सपा-बसपा ने कांग्रेस को 9+2 सीटों का ऑफर दिया है. पहले कांग्रेस 20 सीटें मांग रही थी, लेकिन अब वह 17 सीटें मांग रही है. सूत्रों ने साथ ही बताया कि कांग्रेस पार्टी 13+2=15 पर मान जाएगी. बता दें, बसपा-सपा ने रायबरेली और अमेठी सीट पहले ही कांग्रेस के लिए छोड़ दी है.
बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के बाद कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी सौंपते हुए महासचिव बनाया था. प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने के बाद बसपा-सपा का भी रुख नरम हुआ है. अखिलेश यादव और मायावती ने लोकसभा के लिए गठबंधन का ऐलान करते हुए 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. इसमें रायबरेली और अमेठी सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी गई थी, वहीं दो सीटें अन्य साथी दलों के लिए छोड़ी गई थी. इसके बाद आरएलडी गठबंधन में शामिल हो गई, शुरुआत में पांच सीटों की चाह रखने वाली आरएलडी को तीन सीटें मिलीं. सपा ने अपने खाते से एक सीट आरएलडी को दी है. राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिमी यूपी की मथुरा, मुजफ्फरनगर और बागपत सीट मिली है.
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सपा और बसपा के गठबंधन में शुरू से ही आरएलडी की यह कोशिश रही थी की कम से कम उसे पांच सीटें मिले. शुरू में आरएलडी ने सपा-बसपा गठबंधन से 5 सीटों की मांग की थी, जबकि सपा-बसपा गठबंधन शुरू से ही आरएलडी को तीन सीटें देने को तैयार था. आरएलडी ने इन पांच सीटों की मांग की थी- हाथरस, कैराना, बागपत, मुज़फ़्फरनगर और कैराना. हालांकि, उसे महज तीन सीटों पर ही संतोष करना पड़ा.
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बता दें, इस साल जनवरी में सपा-बसपा ने यूपी में गठबंधन करते हुए कांग्रेस को अपने साथ लेने से मना कर दिया था. उस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने साझा प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि हमें ऐसा लगता है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से उन्हें सीटों का नुकसान होगा. बुआ-बबुआ की जोड़ी ने महागठबंधन की कवायदों में जुटी कांग्रेस को न सिर्फ झटका दिया था. सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को साथ न रखने पर मायावती ने कहा था कि बीजेपी की तरह ही कांग्रेस की नीतियां भी भ्रष्ट हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के शासनकाल में भ्रष्टाचार हुए. कांग्रेस और बीजेपी दोनों की नीति एक जैसी ही भ्रष्ट है और काग्रेस के साथ जाने पर बसपा को वोट शेयर में नुकसान होता है.