Monday , June 9 2025
ताज़ा खबर
होम / देश / ईसाई धर्मगुरु पोप ने किस भारतीय संत की जमकर सराहना की, बताया भेदभाव खत्म करने वाला नायक

ईसाई धर्मगुरु पोप ने किस भारतीय संत की जमकर सराहना की, बताया भेदभाव खत्म करने वाला नायक

तिरुअनंतपुरम
दुनिया के शीर्ष ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने भारत के संत श्री नारायण गुरु की सराहना की है और उनके संदेश को पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक बताया है। पोप फ्रांसिस ने कहा कि नारायण गुरु का समाज सुधारक का संदेश ‘आज की हमारी दुनिया के लिए प्रासंगिक है, जहां हमें लोगों और देशों के बीच असहिष्णुता तथा नफरत बढ़ने के उदाहरण देखने को मिल रहे हैं।’ एर्नाकुलम जिले के अलुवा में श्री नारायण गुरु के सर्व-धर्म सम्मेलन के शताब्दी समारोह के अवसर पर शनिवार को वेटिकन में जुटे धर्मगुरुओं और प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए पोप ने यह बात कही।

पोप ने कहा कि आज दुनिया में जो अशांति का माहौल है उसके लिए धर्मों की शिक्षाओं को न अपनाना भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि गुरु ने अपने संदेश के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक जागृति को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। पोप ने कहा कि गुरु ने अपने संदेश में कहा था कि सभी मनुष्य, चाहे उनकी जाति, धर्म और सांस्कृतिक परंपराएं कोई भी हों, एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं। पोप ने कहा, ‘उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी तरह से और किसी भी स्तर पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘दुख की बात है कि कई समुदायों और लोगों को नस्ल, रंग, भाषा और धर्म के आधार पर रोजाना भेदभाव तथा तिरस्कार झेलना पड़ रहा है और हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। खासकर ऐसा उन लोगों और समुदाय के साथ हो रहा है जो गरीब और कमजोर तबके के हैं।’ पोप ने कहा, ‘धर्मों की महान शिक्षाओं को नहीं अपनाना दुनिया में अशांति के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक है।’

नारायण गुरु को भारत के उन महान संतों में शुमार किया जाता है, जिन्होंने समानता का संदेश दिया। आज भी बहुजन राजनीति और सामाजिक वर्ग के लोगों के लिए वह एक नायक की तरह हैं। 22 अगस्त, 1956 को केरल के तिरुअनंतपुरम के पास एक गांव चेमपजंथी में मदन असन और कुट्टियम्मा के घर हुआ था। उनका परिवार एझावा जाति से संबंध रखता था और उस समय के सामाजिक मान्यताओं के अनुसार इसे 'अवर्ण’ माना जाता था। छोटी उम्र से ही उनका आकर्षण तप की ओर था जिसके चलते वे संन्यासी के रूप में आठ वर्षों तक जंगल में रहे थे। उनको वेद, उपनिषद, साहित्य, हठ योग और अन्य दर्शनों का ज्ञान था।

उन्होंने समानता का संदेश देते हुए 'एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर' (ओरु जति, ओरु माथम, ओरु दैवम, मानुष्यानु) का प्रसिद्ध नारा दिया। उन्होंने वर्ष 1888 में अरुविप्पुरम में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर बनाया, जो उस समय के जाति-आधारित प्रतिबंधों के खिलाफ था। उन्होंने एक मंदिर कलावन्कोड में अभिषेक किया और मंदिरों में मूर्तियों की जगह दर्पण रखा। यह उनके इस संदेश का प्रतीक था कि परमात्मा प्रत्येक व्यक्ति के भीतर है। मंदिर प्रवेश आंदोलन के वह अग्रदूत थे।

Slot Gacor Malam Ini Slot Gacor 2025 slot gacor slot dana https://pariwisata.sultraprov.go.id/ Slot777 slot thailand slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor info kabar slot gacor slot gacor slot gacor Slot Gacor Slot Gacor https://edu.pubmedia.id/ https://stikesrshusada.ac.id/ https://ijsl.pubmedia.id/ Situs Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor info kabar Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor slot gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor https://dakukeren.balangankab.go.id/ slot gacor slot gacor https://elearning.unka.ac.id/ https://jurnal.unka.ac.id/bo/ https://jurnal.unka.ac.id/rep/ slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot mahjong slot gacor pohon169 pohon169 slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor https://jurnal.unka.ac.id/ https://unisbajambi.ac.id/ https://sia.unisbajambi.ac.id/ https://sipp.pn-garut.go.id/ https://fatecjahu.edu.br/ https://poltekkesbengkulu.ac.id/ https://journal.unublitar.ac.id/ https://poltekkes-pontianak.ac.id/ https://conference.upgris.ac.id/ https://kabar.tulungagung.go.id/wop/ Slot Gacor 2025 Slot Gacor Hari Ini slot gacor slot gacor slot gacor
  • toto hk
  • togel hongkong
  • toto hk
  • pg77
  • situs pg77
  • pg77 login