आम सभा, विशाल सोनी, चंदेरी : जैन धर्म के बाइसवे तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के शासन काल में निर्मित ऐतिहासिक एवं धर्म प्राण नगरी चंदेरी में मनवांछित फल प्रदाता, महा उपसर्ग जयी श्री 1008 श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पुराना मंदिर जी मै विराजमान संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के परम शिष्य पाठशाला प्रणेता पूज्य मुनि श्री निर्णय सागर जी, पूज्य मुनि श्री पदम् सागर जी एवं ऐलक श्री क्षीर सागर जी महाराज विराजमान हैं . जैन समाज के प्रवक्ता प्रवीण जैन “जैनवीर ” ने बताया कि यूँ तो दुनियां में हजारों संत हैं लेकिन उनमें दिगम्बर जैन संतो का एक अपना अलग ही जीवन होता हैं.
जहाँ दुनियां में लोग अपने बालों को अनेकानेक साधनों से संवारते हैं वहीं दिगंबर जैन संत हर 2, 3 माह में अपने सिर, दाढ़ी, मूंछ के बालों को अपने हाथों से घास की तरह उखाड़ कर फेक देते हैं. जैसा की सभी को ज्ञात ही हैं की जैन साधु अपने साथ किसी भी प्रकार का परिग्रह नहीं रखते यदि परिग्रह रखेंगे तो पूरा परिवार बस जायेगा. दिग. जैन साधु उस साधक का नाम हैं जिनके पास एक धागा भी नहीं होता, एक पैसा भी नहीं होता. बे जबकि विहार करते हैं तो पैदल चलते हैं जमीन पर सोते हैं, आकाश को ओढ़ते हैं . ऐसे साधु अहिंसा ब्रत का पालन करने के लिये अपने हाथों से बाल उखाड़ते हैं.
इस क्रिया का नाम केशलोंच हैं. यदि बाल बढ़ जाते हैं तो उनमें जीव उत्पन्न हो जाते हैं. और उन्हें खुजलाने से जीव हिंसा होती हैं. इसलिए जीव दया का पालन करने के लिए, कष्टों को सहन करने के लिए केशलोंच करना ही सर्वोपरि मानते हैं. प्रवीण जैन जैनवीर ने बताया कि आज पूज्य मुनि श्री निर्णय सागर जी एवं मुनि श्री पदम् सागर जी महाराज ने अपने केशलोंच किये. विचार करो बन्धुओ हमारे शरीर का एक भी बाल उखड़ जाता हैं हमें अत्यंत कष्ट होता हैं. और हमारे जैन साधु तो सिर ही नहीं दाढ़ी, मूंछ के बालों को भी उखाड़ कर फेक देते हैं. ऐसी तपस्या करने का एक मात्र उद्देश्य होता हैं की आने बाले दिनों में मेरी आत्मा राम, महावीर, हनुमान बन जाये.