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देश की क्षेत्रीय भाषाओं को सिखाने के लिए मध्यप्रदेश में खुलेंगे केंद्र: मंत्री इंदर सिंह परमार

भोपाल

उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में 3 दिवस से चल रही राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन अवसर पर कहा है कि रोजगार कौशल विकास संबंधी कार्यशाला के माध्यम से देश के युवाओं की समस्याओं का समाधान करने की दिशा में ठोस कदम उठाया जाएगा।

मंत्री परमार ने कहा कि, भारत विविधताओं का देश है और रोजगार संबंधी समस्याओं के लिए स्थायी समाधान खोजे जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि, हमें अपने स्नातकों को नौकरी देने के साथ-साथ उनमें मानवीय मूल्यों के विकास के लिए भी प्रयास करना होगा। उन्होंने आजकल के युवाओं में गिरते मूल्यों के बारे में चिंता व्यक्त की। परमार ने कहा कि, सहयोग और कृतज्ञता की भावना भारत को दुनिया से अलग करती हैं। हमारे विद्यार्थियों में देशभक्ति, समाज के प्रति जवाबदारी और प्रकृति के प्रति जवाबदारी की भावना होना अत्यंत आवश्यक है और यह काम हमारे शिक्षण संस्थाओं का प्रथम लक्ष्य होना चाहिए। श्रेष्ठ नागरिक एवं एक श्रेष्ठ व्यक्ति का निर्माण विश्वविद्यालयों का प्रथम लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को यदि विश्व गुरु बनाना है तो, हमें अपने संस्कृति एवं दर्शन की ओर लौटना होगा। भारतीय परंपराओं के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दुनिया के सामने रखना होगा। उन्होंने कहा कि, भारत आज खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर है और हमें 2047 तक भारत को दुनिया का भरण पोषण करने का सामर्थ्य रखने वाला देश बनाना होगा। उन्होंने कहा भारत अवश्य ही विश्व गुरु बनेगा । हमें अपनी देश की क्षेत्रीय भाषाओं को भी सीखने के लिए प्रयास करना चाहिए। मध्य प्रदेश शीघ्र ही ऐसे केंद्र विकसित करने जा रहा है जिसमें भारत की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं को सीखा जा सकेगा।

इस अवसर पर सेमका के डायरेक्टर एवं संरक्षक डॉ. बी सेड्रेक ने कार्यशाला के उद्देश्य और तीन दिवस में की गई कार्यवाहियों से अवगत कराया। मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलगुरु एवं इस कार्यशाला के प्रमुख संरक्षक प्रो. संजय तिवारी ने मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और भारतीय ज्ञान परंपरा तथा मूल्य वर्धित शिक्षा के संबंध में मध्य प्रदेश में किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।

तमिलनाडु ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एस. अरुगम ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें रोजगार पाने लायक कौशलों का विकास करना है तो हमारी पाठ्यचर्या को लगातार उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार अपडेट करते रहना होगा।

कार्यशाला में भारत के 16 मुक्त विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक एवं अधिकारीगण ने हिस्सा लिया। इस कार्यशाला में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा समेत अन्य देशों के विशेषज्ञ भी ऑनलाइन जुड़े। समापन अवसर में उपस्थित अन्य अतिथियों में विशेषज्ञ डॉ. ओ.पी. गोयल, सेवानिवृत सलाहकार, NSDC, नई दिल्ली, मंचासीन रहे। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव और कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सुशील कुमार मंडेरिया द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय, कॉमन वैल्थ ऑफ लर्निंग, कनाडा एवं कॉमन वैल्थ एजुकेशन मीडिया सेंटर फॉर एशिया, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। कार्यशाला के अंत में भारत के विभिन्न मुक्त विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।