टैक्स चोरी करने वालों पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सख्त कदम उठाया है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के रिवाइज्ड गाइडलाइंस के मुताबिक, ब्लैकमनी और बेनामी कानून के तहत किए गए अपराध गंभीर माने जाएंगे जो अभी तक गंभीर नहीं माने जाते थे. इसका मतलब है कि अगर कोई शख्स या कंपनी टैक्स चोरी करता है तो सिर्फ टैक्स पेमेंट, पेनाल्टी और ब्याज चुकाने से मामला हल नहीं होगा. Income Tax की नई गाइडलाइंस 17 जून 2019 से लागू हुआ है. आज से टैक्स चोरी के सभी मामलों को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा.
13 तरह के मामलों की लिस्टिंग की हुई
रिवाइज्ड गाइडलाइंस में 13 तरह के मामलों की लिस्टिंग की गई है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने अपने सीनियर अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इसके आधार पर ही टैक्स चोरी से जुड़े मामलों का निपटारा होगा. ये 13 मामले अभी तक गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं आते थे.
जानें टैक्स न चुकाना किस अपराध में आएगा
मिंट के मुताबिक, इनकम टैक्स की धारा 115-0 या चैप्टर XVII-B के तहत अगर आप टैक्स नहीं चुकाते हैं तो यह अपराध A कैटेगरी में आता है. सोर्स से टैक्स कलेक्टर करके अगर कोई कंपनी या शख्स टैक्स नहीं चुकाता है तो वह भी इसी कैटेगरी का अपराध माना जाएगा.
विलफुल डिफॉल्ट किस कैटेगरी में आएंगे
कैटेगरी B में वो कंपनी या शख्स आएंगे जो टैक्स चोरी के लिए विलफुल डिफॉल्ट करते हैं. इनमें वो भी शामिल होंगे जो जरूरी दस्तावेज या अपने खातों का ब्योरा नहीं देंगे. साथ ही वैरिफिकेशन के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट्स मुहैया कराने का अपराध भी इसी कैटेगरी में आएगा.
नए गाइडलाइंस के मुताबिक, इनकम टैक्स की धारा 275 A, 275B और 276 के तहत किया गए अपराध को बेहद गंभीर की श्रेणी में नहीं डाला गया है. नए गाइडलाइंस ने 2014 के गाइडलाइंस की जगह ली है.
रिवाइज्ड गाइडलाइंस के मुताबिक, ब्लैकमनी (अघोषित फॉरेन इनकम और एसेट्स) एंड इंपोजिशन ऑफ टैक्स एक्ट, 2015 के मुताबिक किए गए अपराध को सामान्य नहीं माना जाएगा. बेनामी ट्रांजैक्शन (प्रोहिबिटेशन) एक्ट, 1988 के तहत किए गए अपराध को भी टैक्स अधिकारी अब गंभीर अपराध मानेंगे.