बुलंदशहर
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 3 दिसंबर को गोकशी के नाम पर हुई हिंसा के मामले में आरोपी सेना के जवान जितेंद्र मलिक उर्फ जीतू फौजी को स्थानीय अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। बता दें कि हिंसा के मामले में जीतू फौजी ने एसटीएफ की पूछताछ में यह बात स्वीकार की है कि वह घटना के समय भीड़ के साथ मौजूद था। हालांकि, अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि जीतू ने इन्स्पेक्टर सुबोध कुमार और सुमित को गोली मारी थी और पुलिस के पास भी इस बात से जुड़ा कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि जीतू ने यह स्वीकार किया है कि जब भीड़ इकट्ठा होना शुरू हुई तो वह घटनास्थल पर मौजूद था। प्रथम दृष्टया यह सही पाया गया है। यह अभी तक निश्चित नहीं है कि उसी ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार या सुमित को गोली मारी।
‘लोअर कोर्ट में जमानत याचिका दायर करने की तैयारी’
जीतू के वकील संजय शर्मा ने बताया, ‘प्रथम दृष्ट्या जांच के लिए उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उसके परिवार के मुताबिक, वह निर्दोष है और न तो वह पहले ऐसे मामलों में शामिल रहा है और न ही उसके खिलाफ पुलिस में ऐसा कोई रेकॉर्ड है। जिस मामले की जांच की जा रही है उसमें भी कोई पुख्ता सबूत नहीं है। उसका नाम सिर्फ उसकी मौजूदगी के आधार पर लिया गया है। कल (सोमवार) हम लोअर कोर्ट में उसकी बेल ऐप्लिकेशन देने जा रहे हैं। वह यहां पर छुट्टी पर था और उसे 4 दिसंबर को फिर से ड्यूटी जॉइन करन थी। उसे सिर्फ इसलिए फंसाया जा रहा है क्योंकि वह वहां पर मौजूद था। हमने पुलिस द्वारा जिक्र किए गए आईपीसी के सेक्शन 302 पर भी कोर्ट में जिरह की।’
पूछताछ में जीतू ने बताई यह बात
एसटीएफ के एसएसपी अभिषेक सिंह के मुताबिक जीतू फौजी ने पूछताछ में बताया है कि वह गांव वालों के साथ वहां पर गया था, लेकिन उसने पुलिस पर पत्थरबाजी करने के आरोप को खारिज कर दिया है।
’16 दिनों की छुट्टी पर घर आया था जीतू फौजी’
एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में जीतू के बड़े भाई धर्मेंद्र, जो खुद आर्मी में हैं और फिलहाल पुणे में तैनात हैं, ने दावा किया है कि उनका भाई पूरी तरह निर्दोष है और उनके पास कई ऐसे सबूत हैं, जिनसे वह जीतू को बेगुनाह साबित कर देंगे। धर्मेंद्र मलिक ने कहा, ‘मेरा भाई (जितेंद्र सिर्फ उर्फ जीतू) 2013 में 22 (आरआर) राष्ट्रीय राइफल्स में भर्ती हुआ था। वह 19 नवंबर को 16 दिनों की छुट्टी पर घर आया था। उसे 4 दिसंबर को वापस जॉइन करना था।’
‘ड्यूटी जॉइन करने जा रहा था जीतू, ऐसे बना भीड़ का हिस्सा’
धर्मेंद्र ने घटनावाले दिन का जिक्र करते हुए बताया, ‘उस दिन गांव में जो अवशेष मिले थे। उसी दिन (3 दिसंबर) जीतू को वापस लौटना था, 4 तारीख को उसे कश्मीर में रिपोर्ट करना था। हमें बस पकड़ने के लिए चिंगरावठी जाना पड़ता है, वही हमारा अड्डा है। जब गांव से वापस लौटते हैं तो हम अपने दोस्तों को कह देते हैं और वह हमें छोड़ने जाते हैं। जीतू ड्यूटी जॉइन करने के लिए घर से निकल चुका था। दोस्त उसके साथ जा रहे थे। चिंगरावठी में पहले से भीड़ इकट्ठा थी। वहां जीतू को बुला लिया गया कि फौजी इधर आ जा।’ बता दें कि बुलंदशहर में हुई हिंसा में स्याना थाने में तैनात यूपी पुलिस के इन्स्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और चिंगरावठी गांव के रहने वाले सुमित की मौत हो गई थी।