मेरठ
बुलंदशहर हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह को गोली मारने का मुख्य आरोपी बताकर सेना के जवान जीतू को हिरासत में लेने के लिए यूपी पुलिस को जम्मू से लेकर मेरठ तक काफी मशक्कत करनी पड़ी। सेना ने अपने जवान को सौंपने से पहले काफी सख्ती दिखाई। पहले सबूत मांगे और भरोसा लिया कि उसके खिलाफ कोई गलत कार्रवाई नहीं होगी। आर्मी चीफ को संज्ञान में लाकर जवान को पुलिस (एसटीएफ) के हवाले किया गया।
सूत्रों के मुताबिक, जीतू को सेना की तरफ से जम्मू-कश्मीर से लेकर मेरठ में एसटीएफ को सौंपे जाने तक हर कदम पर पूरी सावधानी बरती गई। जम्मू में सेना ने पहले वॉरंट मांगा और दूसरे सबूत चाहे। पुलिस गोली मारने में सीधे तौर पर जीतू के खिलाफ सेना के अफसरों को सबूत नहीं दिखा सकी। बाद में तय हुआ कि मेरठ में सेना का बड़ा सेंटर है। सेना की टुकड़ी जम्मू से जीतू को लेकर जाएगी। वहां सीनियर अफसरों से चर्चा के बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा।
एक अफसर के मुताबिक वाया दिल्ली जीतू को मेरठ लाया गया। मेरठ में भी सेना के अफसरों ने एविडेंस की डिमांड की। इस अफसर की मानें तो पुलिस के पास गोली मारने के ठोस एविडेंस मेरठ में भी नहीं थे। फिर समझाया गया कि एफआईआर में जीतू नामजद है। मुख्य आरोपी है। उसका 7वें नबर पर नाम दर्ज है। घटनास्थल पर मौजूदगी है। अफसरों की तरफ से सवाल किया गया कि फिर उसे हत्यारोपी क्यों कहा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, इस पर पुलिस का तर्क था कि कुछ विडियो में जीतू की मौजूदगी उस ओर इशारा कर रही है। उसी के बाद फौजी को सौंपा गया। एसटीएफ ने बताया कि पूछताछ में आरोपी जीतू ने यह तो कबूल कर लिया है कि जब भीड़ इकट्ठा हुई तो उस वक्त वह वहां मौजूद था, हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ कि इंस्पेक्टर सुबोध को उसने ही गोली मारी थी या नहीं।
रातभर हुई पूछताछ
सेना के अफसरों ने जीतू फौजी को शनिवार रात 12 बजकर 50 मिनट पर मेरठ एसटीएफ के हवाले कर दिया। उसके बाद पुलिस ने उसे अपने दफ्तर लाकर रातभर मेरठ में पूछताछ की। इस पूछताछ का पुलिस ने कोई खुलासा नहीं किया।
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