नागपुर स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ब्रह्मोस यूनिट में कार्यरत निशांत अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद दो और वैज्ञानिकों से पूछताछ की गई जिसमें यह खुलासा हुआ है कि काजल नाम से फेसबुक पर एक्टिव आईएसआई की महिला एजेंट ने इनके जरिए देश की रक्षा संस्थानों में सेंध लगाई है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, निशांत की गिरफ्तारी के बाद उत्तर प्रदेश एंटी टेरर स्क्वॉड (यूपी एटीएस) ने मंगलवार को डीआरडीओ के कानपुर स्थित डिफेंस मटेरियल एंड स्टोर रिसर्च सेंटर में काम करने वाले दो और वैज्ञानिकों से पूछताछ की. पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि काजल नाम से फेसबुक पर एक्टिव आईएसआई की महिला एजेंट ने ऐसे ही कई लोगों को हनीट्रैप में फंसाकर देश की रक्षा संस्थानों में सेंध लगाई है.
महिला आईएसआई एजेंट की पहचान
खुफिया सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी ने पाकिस्तान की उन महिला आईएसआई एजेंट की पहचान की है जो फेसबुक पर अलग-अलग नाम से सक्रिय है. खुफिया एजेंसियों की नजर में काजल नाम से सक्रिय एक ऐसे फेसबुक प्रोफाइल के बारे में पता चला है जो फेसबुक पर 15 से 20 प्रोफइल पर अलग-अलग नाम से सक्रिय है.
डीआरडीओ के वैज्ञानिक और बीएसएफ के जवान अच्युतानंद हनीट्रैप के शिकार हुए थे. हनीट्रैप का मामला सामने आने के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों की नजर आईएसआई के ऐसी ही एक हजार से ज्यादा फेसबुक प्रोफाइल पर है जिसके जरिए भारतीय सेना और रक्षा संगठनों से जुड़े लोगों को अपनी जाल में फंसाने की कोशिश की जाती है.
इससे पहले डीआरडीओ की ब्रह्मोस यूनिट में कार्यरत निशांत अग्रवाल को सुरक्षा से जुड़ी खुफिया जानकारी आईएसआई को देने के आरोप में यूपी एटीएस और मिलिट्री इटेलिजेंस ने सोमवार को गिरफ्तार किया था.
निशांत की गिरफ्तारी के बाद यूपी एटीएस के आईजी असीम अरुण ने कहा कि डीआरडीओ में कार्यरत निशांत अग्रवाल के कंप्यूटर से काफी संवेदनशील जानकारियां हाथ लगी हैं. निशांत के कंप्यूटर से उसके पाकिस्तान स्थित आईडी पर फेसबुक के जरिए चैटिंग के भी सबूत मिले हैं.
एटीएस के आईजी असीम अरुण ने यह भी कहा कि कुछ महीने पहले एक बीएसएफ का जवान गिरफ्तार किया गया था और जांच के दौरान तीन फर्जी फेसबुक आईडी का पता चला, जो पाकिस्तान आधारित आईडी से संचालित होता था. जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि निशांत अग्रवाल जो कि एक इंजिनियर है वो पाकिस्तान के आईपी एड्रेस से संचालित होने वाले फेसबुक आईडी से चैटिंग से माध्यम से संपर्क में था.
आईजी अरुण ने बताया कि नागपुर के अलावा आगरा और कानपुर में भी रेड हुई है. हमारा मानना है कि उसके लैपटॉप से जो संवेदनशील जानकारियां मिली हैं वो उसके पास नहीं होनी चाहिए थी.
यूपी एटीएस के मुताबिक निशांत की गिरफ्तारी के बाद अभी इस बात की जांच की जा रही है कि यह संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई तक पहुंची या नहीं. एटीएस हनी ट्रैपिंग के एंगल से भी मामले की जांच कर रही है क्योंकि निशांत अग्रवाल कथित तौर पर दो महिलाओं के संपर्क में था जिनके आईपी एड्रेस पाकिस्तान के थे.
निशांत अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल से जुड़ी टेक्निकल जानकारी अमेरिकी और पाकिस्तानी एजेंसी के साथ साझा की है. वह उत्तराखंड के रहने वाले हैं और पिछले 4 साल से डीआरडीओ की नागपुर यूनिट में कार्यरत हैं.