चुनावी ‘जंग’ में जीत के लिए सभी दल हर पैंतरा अपना रहे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में प्रचार के दौरान बजरंगबली को दलित बता दिया. उनके इस बयान पर राजस्थान ब्राह्मण सभा ने त्यौरियां चढ़ा ली हैं. ब्राह्मण सभा ने हनुमान जी को जाति में बांटने का आरोप लगाते हुए योगी आदित्यनाथ को कानूनी नोटिस भेजा है.
बीजेपी ने पल्ला झाड़ा, कांग्रेस ने घेरा
इधर बीजेपी ने योगी के हनुमान की जाति पर दिए बयान से किनारा कर लिया. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस संबंध में सवाल पूछे जाने पर गोल-मोल जवाब देते हुए कहा कि ये तो उन्होंने कांग्रेस को जवाब देने के लिए कहा होगा. वहीं कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि ये लोग वोट के लिए जाति को भी नही छोड़ते हैं.
बजरंगबली को कहा था दलित, वनवासी
गौरतलब है कि अलवर जिले के मालाखेड़ा में एक सभा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने बजरंगबली को दलित, वनवासी, गिरवासी और वंचित करार दिया. योगी ने कहा कि बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं.
योगी ने अलवर जिले में कांग्रेस पर लगातार हमला बोला और जातिगत वोट बैंक को साधने की कोशिश की. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलते हुए देवी-देवताओं और हिंदुत्व के एजेंडे को भी लोगों के बीच रखा.
गौ तस्करी के नाम पर जिस रामगढ़ में अकबर खान को पीट-पीटकर मार डाला गया था, इस मुद्दे पर बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चुनाव में राम भक्त बीजेपी को वोट दें और रावण भक्त कांग्रेस को वोट दें. भरतपुर में बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बीजेपी औरंगजेब जैसे लोगों से रक्षा कर सकती है. राम राज्य लाने के लिए बीजेपी उम्मीदवार को जिताएं.
योगी के इस बयान को बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड के साथ-साथ जातिगत वोट बैंक को साधने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. राजस्थान में कुल जनसंख्या का 17.8 फीसदी हिस्सा दलित समुदाय का है. परंपरागत दलित वोट बैंक बीते एक दशक से कांग्रेस छोड़ बीजेपी के साथ जुड़ा हुआ था, लेकिन इस बार वसुंधरा राजे सरकार को लेकर इस तबके में नाराजगी है.
दलितों को साधने के लिए बीजेपी ने कई कोशिशें राजस्थान में कीं, लेकिन हालात बदलते नहीं दिख रहे. ऐसे में विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे की नैया पार लगाने के लिए उतरे सीएम योगी आदित्यनाथ ने भगवान बजरंगबली को दलित बताकर नया दांव चला है.