अपनी सत्ता वाले तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भाजपा कई नए चेहरों पर दांव लगाएगी। साथ ही लगभग 30 फीसदी मौजूदा विधायकों के टिकट भी काटे जा सकते हैं। जीत के समीकरण बनाने के लिए पार्टी कुछ मुश्किल सीटों पर सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक 20 अक्तूबर के आसपास होने की संभावना है। इन तीन राज्यों में भाजपा की सरकारें होने से उसे सरकार विरोधी माहौल का सामना करना पड़ रहा है।
तीन दशक से सत्ता में
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो बीते 15 सालों से भाजपा सत्ता में है। सूत्रों के अनुसार विभिन्न सर्वे व संगठन की अंदरूनी रिपोर्ट व आकलन में तीनों राज्यों में प्रत्येक में लगभग तीस फीसदी विधायकों की स्थिति अच्छी नहीं है। सबसे ज्यादा संख्या राजस्थान में है। भाजपा के लिए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सबसे अहम हैं क्योंकि इन राज्यों में सरकारें होने के साथ यहां की अधिकांश लोकसभा सीटें उसके पास हैं। नतीजे खिलाफ जाने पर लोकसभा चुनाव पर भी असर पड़ सकता है।
सांसदों को मौका संभव
पार्टी के कुछ सांसदों ने भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। साथ ही पार्टी भी कुछ मुश्किल लेकिन रणनीतिक तौर पर अहम सीटों पर सांसदों को चुनाव लड़ाना चाहती है, ताकि वहां पर जीत हासिल की जा सके। चूंकि सांसद संसदीय दल से जुड़े होते हैं, इसलिए उनके बारे में फैसला पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही लेंगे।