हो सकता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके राजनीतिक बयान आमतौर पर उल्टे न पड़ते हों लेकिन एक पासा उल्टा पड़ ही गया. उन्होंने बयान दिया कि मायावती को कांग्रेस और उनके साथ गठबंधन कर चुके अखिलेश यादव आपस में साठगांठ करके उनको धोखा दिया है, लेकिन उनके इस बयान को एक दिन बाद ही मायावती ने ही पूरी तरह खारिज कर दिया. इतना ही नहीं मायावती ने अपने समर्थकों से अपील कर डाली कि वो रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस के शीर्ष नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पक्ष में वोट डालें.
मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चार दौर की वोटिंग के बाद पीछे हो चुके पीएम मोदी बहुत ही घिसे-पिटे तरीके से उनके अखिलेश यादव के बीच कांटे बोने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन वह इसकी कोई परवाह नहीं कर रही हैं. लेकिन पीएम मोदी का यह कहना कि मायावती कांग्रेस और यादव की साजिश से अनजान हैं, इससे मायावती भड़क गईं और नतीजा यह हो हुआ कि कांग्रेस और मायावती के बीच शांति नजर आने लगी. जबकि इससे पहले गुना में बीएसपी के प्रत्याशी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद मायावती ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी, अखिलेश यादव ने भी उनका समर्थन करने का ऐलान कर दिया था.
तो क्या कांग्रेस ने मायावती के दिल में जगह बना ली है? हालांकि मायावती इंटरव्यू नहीं देती हैं, इसलिए मैंने कांग्रेस, सपा और बीएसपी के नेताओं से बात की जिससे पता लगे सके सत्ता के इस खेल में मायावती को क्या रुख हो सकता है.
मैंने यह पाया. सबसे पहले किया मायावती इस बात से बेहद नाराज थीं कि मोदी ने उनको छवि बेचारी और दूसरे नेताओं के द्वारा छली जाने वाले बना रखी है. जबकि बहन जी की छवि ऐसी है कि वह बहुजन समाज और वोटरों के बीच ऐसी मजबूत नेता है कि जो दलित अधिकारों की रक्षा कर सकती हैं. उनकी मजबूत छवि से समझौता नहीं किया जा सकता है, जो हमेशा बीएसपी की नियत को भी तय करती है. मोदी ने उनको शक्तिहीन और ऐसी महिला के तौर पर स्थापित करने की कोशिश की जो पेचीदा राजनीति को समझने में नाकाम है, गलती कर दी. उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती के लिए यह एक अपमान था. मायावती ने बीजेपी को हारने वालों की जमात कहकर सूद समेत जवाब दिया.
दूसरी ओर आज पूर्वी उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर मतदान हो रहा है. मायावती ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाला वोट एक साथ आ जाए जो कि एक प्रकार से मोदी के लए सार्वजनिक झिड़की थी.
तीसरा मायावती और अखिलेश यादव को इस बात का पूरा अंदाजा है कि महागठबंधन बनने के बाद से बीजेपी की स्थित डावांडोल है और वो वोटरों की मनाने में जुटी हुई है. सपा के एक नेता ने कहा, ‘हमें पता है कि वे क्या करने में समर्थ हैं, वे बहन जी को महागठबंधन की कमजोर लिंक के रूप में बताने में जुटे हैं जो महत्वाकांक्षाओं और दबाव में आ जाएंगी’. सपा नेता ने आगे कहा, ‘आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मायावती ने ही कन्नौज में डिंपल यादव के साथ संयुक्त रैली का सुझाव दिया था. इससे अखिलेश और डिंपल बहुत खुश हुए और डिंपल ने जब उनके पैर छुए तो उन्होंने उनको अपनी बहू की तरह से आशीर्वाद दिया. कृपया इस तस्वीर को हमारे वोटर्स और कॉडर को दिए गए संदेश को समझिए. दलित और यादवों के बीच सालों से रही खटास के बाद साफ तौर पर अब नरमी आ रही है’.
इससे पहले मायावती ने अखिलेश के पिता और अपने दुश्मन रहे मुलायम सिंह यादव के साथ भी मैनपुरी में मंच साझा किया था. दो दशकों के बाद दोनों के साथ आई तस्वीरें काफी वायरल हुई थीं. दोनों पार्टियों के कॉडर ने इस उत्सकतापूर्वक इसको देखा था.
चौथा, मायावती और अखिलेश यादव के बीच जिस तरह से केमेस्ट्री दिखाई दे रही है, इससे दोनों ही पार्टियों के नेता हैरान हैं और कांग्रेस के लिए भी रुचि बढ़ाने वाला है. मायावती हमेशा एक सम्मानित वरिष्ठ साझेदार की तरह महसूस करें इसके लिए अखिलेश यादव कई कदम खुद आगे बढ़कर आए और कांग्रेस पर हमला करने जैसी बातों को भी उन्होंने मान लिया, जिसके साथ मायावती के रिश्ते कभी ठीक नहीं रहे.
दूसरी ओर ऐसा लगता है कि मायावती, अखिलेश यादव को राजनीतिक लेने-देने परे पसंद करती हैं, जिसके लिए वह जानी जाती हैं. उन्होंने मुलायम सिंह यादव से कहा कि उन्होंने अपने बेटे का ठीक से पालन-पोषण किया है. उन्होंने अखिलेश यादव को ‘टाइगर बॉम’ जो सारे दर्द ठीक कर देता है.
उत्तर प्रदेश के इन दो बड़े क्षत्रपों के बीच इस तरह की खुशफहमियां बीजेपी को परेशान कर रही हैं. इसका अंदाजा बीजेपी नेताओं के बयानों से लगाया जा सकता है. सीएम योगी ने महागठबंधन को ‘बुआ और बबुआ’ कहकर मजाक उड़ाया और कहा कि भतीजे को बेवकूफ बनाया जा रहा है. तो दूसरी ओर पीएम मोदी कहते हैं कि भतीजा बुआ को बेवकूफ बना रहा है.