Saturday , July 27 2024
ताज़ा खबर
होम / देश / अशोक गहलोत तीसरी बार बने राजस्थान के सीएम, शपथ ग्रहण समारोह में दिखी विपक्ष की एकजुटता

अशोक गहलोत तीसरी बार बने राजस्थान के सीएम, शपथ ग्रहण समारोह में दिखी विपक्ष की एकजुटता

नई दिल्ली: 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में और उनके साथ नई सरकार में बतौर उप मुख्यमंत्री शामिल हुए सचिन पायलट ने सोमवार को पद और गोपनीयता की शपथ ली. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कई अन्य विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में जयपुर के अल्बर्ट हॉल में दोनों नेताओं का शपथ ग्रहण कार्यक्रम संपन्न हुआ.

गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं. राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले वह चौथे नेता हैं. गहलोत से पहले भैंरो सिंह शेखावत और हरिदेव जोशी तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे. हालांकि मोहन लाल सुखाड़िया सबसे अधिक चार बार इस पद पर रहे. गहलोत 1998 में पहली बार और 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. इंदिरा गांधी के समय से राजनीति में सक्रिय गहलोत केंद्र में मंत्री भी रहे हैं. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कई अहम पदों पर रह चुके गहलोत तीन बार कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं. गहलोत ने राजनीति के अलावा 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी शरणार्थियों के शिविरों में काम किया और कई सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहे.

उप मुख्यमंत्री बने पायलट फिलहाल राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं. वह लोकसभा सदस्य और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं. वह अपने जमाने में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत राजेश पायलट के पुत्र हैं. राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद के चयन को लंबी खींचतान हुई. गहलोत और पायलट दोनों इस पद की दौड़ में शामिल थे. मैराथन बैठकों और गहन मंथन के बाद 14 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष ने गहलोत को मुख्यमंत्री और पायलट को उप मुख्यमंत्री नामित करने का फैसला किया.

दिखी विपक्ष की एकजुटता 
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के हालिया विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटकनी देने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल यहां विपक्षी एकजुटता की धुरी बनते नजर आए. वहीं दूसरे विपक्षी दलों के आला नेताओं की शिरकत ने भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ व्यापक गठबन्धन से जुड़ी कांग्रेस की उम्मीदों को पर लगाने का काम किया.    शपथ ग्रहण में राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) के नेता एन चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी शामिल हुए.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, भूपेंद्र हुड्डा, सिद्धरमैया, आनंद शर्मा, तरुण गोगोई, नवजोत सिंह सिद्धू, अविनाश पांडे सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे. गत मई महीने में कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के बाद यह दूसरा मौका था जब विपक्षी दलों के नेता इस तरह एक मंच पर नजर आए.

विपक्षी एकजुटता का यह नजारा उस वक्त दिख रहा है जब तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी राजनीतिक हैसियत की लिहाज से पहले की तुलना में खुद को बहुत बेहतर स्थिति में महसूस कर रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इन तीनों राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी एकजुटता के साथ राहुल गांधी के कद में इजाफा साफ तौर पर दिख रहा है. वैसे, इसकी बानगी शनिवार को तमिलनाडु में देखने को मिली जब द्रमुक नेता स्टालिन ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने पैरवी की.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)