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नए वक्फ बिल के बाद राजधानी में जल्द ही वक्फ की जमीनों पर कब्जे हटाने शुरू होगें, कब्रिस्तानों पर बने निर्माणों पर चलेंगे बुलडोजर

भोपाल

नए वक्फ बिल के बाद राजधानी में जल्द ही वक्फ की जमीनों पर कब्जे हटाने शुरू होगें। वक्फ रेकॉर्ड के अनुसार सबसे ज्यादा कब्जे कब्रिस्तानों पर हैं। करीब 100 कब्रिस्तान खत्म हो चुके हैं। इनमें कहीं बस्तियां हैं तो कहीं काम्पलेक्स तो सरकारी दफ्तर भी काबिज हैं।

 बोर्ड के रेकॉर्ड में राजधानी में 7700 वक्फ सम्पत्तियां हैं इसमें 135 कब्रिस्तान हैं। लेकिन इनमें से 30 ही बचे हैं। कब्रिस्तानों के संरक्षण के लिए काम कर रहे जमीयत के सचिव इमरान हारून के मुताबिक वर्तमान में भोपाल टॉकीज चौराहा, पुराना आरटीओ ऑफिस, नरेला संकरी, कोलार, जहांगीराबाद सहित कई इलाकों में कब्रिस्तानों के नामोनिशान भी नहीं बचा। पीएचक्यू के पास सरकारी दफ्तर के पीछे कब्रों के निशान अब भी हैं।

वक्फ बोर्ड ने जिला प्रशासन को 7700 संपत्तियों की जानकारी दी है। राजस्व रेकॉर्ड अपडेट किया जा रहा है। इसके आधार पर बोर्ड का रिकॉर्ड भी अपडेट होगा। वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सनवर पटेल के मुताबिक प्रशासन को सभी की जानकारी दी चुकी है।
इमरान हारून ने बताया कि शहर में करीब 70 प्रतिशत कब्रिस्तान खत्म हो गए हैं। कब्रिस्तान पर बस्तियां बस गई हैं तो कहीं लोगों ने अतिक्रमण कर कब्जा कर लिया है। नए बिल से निजी कब्जों पर तो कार्रवाई संभव है सरकारी के लिए क्या होगा कुछ पता नहीं। उसके बदले बोर्ड क्या सरकार से जमीन लेेगी।

मुस्लिम महासभा के मुन्नवर अली ने बताया कि ये भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है। बीते साल ही शहर के कब्रिस्तानों में दफनाने के लिए जगह की कमी की बात सामने आई। निजी कब्जेधारियों पर तो कार्रवाई हुई लेकिन जिन जमीनों पर सरकार का कब्जा है उनके बदले क्या होगा। कब्रिस्तान के बदले जमीन मिलनी चाहिए।

जानें वक्फ के नए कानून में क्या है

वक्फ का नया कानून बनने के बाद होने वाले बदलावों को लेकर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने शनिवार को विस्तृत जानकारी दी है। इसमें लोगों के बीच बनी धारणा और कानून के प्रावधानों की सच्चाई को सामने रखते हुए सरकार ने साफ किया है कि नया कानून बनने के बाद न तो वक्फ संपत्तियां वापस ली जाएंगी और न ही निजी भूमि पर कब्जा किया जाएगा। इसी पर एक नजर…

सवाल : वक्फ संपत्तियां वापस ले ली जाएंगी?
सच्चाई
: वक्फ कानून 1995 के तहत पंजीकृत कोई भी संपत्ति वक्फ के रूप में वापस नहीं ली जाएगी। क्योंकि एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ की घोषित हो जाती है तो स्थायी रूप से उसी रूप में रहती है। विधेयक जिला कलेक्टर को उन संपत्तियों की समीक्षा करने की अनुमति देता है जिन्हें वक्फ के रूप में गलत तरीके से वर्गीकृत किया जा सकता है, खासकर अगर सरकारी संपत्ति है तो। वैध वक्फ संपत्तियां संरक्षित रहती हैं।

सवाल : क्या वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण नहीं होगा?
सच्चाई
: एक सर्वेक्षण होगा। कानून सर्वेक्षण आयुक्त की पुरानी भूमिका के स्थान पर जिला कलेक्टर को नियुक्त करता है। जिला कलेक्टर मौजूदा राजस्व प्रक्रियाओं का उपयोग करके सर्वेक्षण करेंगे। इसका उद्देश्य सर्वेक्षण प्रक्रिया रोके बिना रिकॉर्डों की सटीकता में सुधार करना है।
 
सवाल : क्या मुसलमानों की निजी भूमि अधिग्रहित की जाएगी?
सच्चाई
: कोई निजी भूमि अधिग्रहित नहीं की जाएगी। यह केवल उन संपत्तियों पर लागू होता है जिन्हें वक्फ घोषित किया गया है। निजी या व्यक्तिगत संपत्ति को प्रभावित नहीं करता है जिसे वक्फ के रूप में दान नहीं किया गया है। केवल स्वैच्छिक और कानूनी रूप से वक्फ के रूप में समर्पित संपत्तियां ही नए नियमों के अंतर्गत आती हैं।

सवाल : क्या वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाएंगे?

सच्चाई : बोर्ड में गैर-मुस्लिम शामिल होंगे लेकिन वे बहुमत में नहीं होंगे। केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में पदेन सदस्यों को छोड़कर दो गैर-मुस्लिमों को सदस्य के रूप में शामिल करने की आवश्यकता होगी, जिससे परिषद में अधिकतम चार गैर-मुस्लिम सदस्य और वक्फ बोर्ड में अधिकतम तीन सदस्य हो सकते हैं। केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्डों में कम से कम दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने चाहिए। इसका उद्देश्य समुदाय के प्रतिनिधित्व को कम किए बिना विशेषज्ञता को जोड़ना है।

सवाल : क्या सरकार इस विधेयक का उपयोग वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए करेगी?
सच्चाई : कानून जिला कलेक्टर के पद से ऊपर के एक अधिकारी को यह समीक्षा करने और सत्यापित करने का अधिकार देता है कि क्या सरकारी संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। लेकिन यह वैध रूप से घोषित वक्फ संपत्तियों को जब्त करने के लिए अधिकृत नहीं करता है।

क्या कानून गैर-मुसलमानों को मुस्लिम समुदाय की संपत्ति पर नियंत्रण या प्रबंधन की अनुमति देता है?

सच्चाई : संशोधन में प्रावधान किया गया है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्ड में दो कुछ ही गैर-मुस्लिम होंगे। चूंकि अधिकांश सदस्य मुस्लिम समुदाय से होंगे, जिससे धार्मिक मामलों पर समुदाय का नियंत्रण बना रहेगा।

धारणा : क्या उपयोगकर्ता  द्वारा वक्फ का प्रावधान हटाने से लंबे समय से स्थापित परंपराएं खत्म हो जाएंगी?

सच्चाई : यह प्रावधान हटाने का उद्देश्य संपत्ति पर अनधिकृत या गलत दावों को रोकना है। उपयोगकर्ता संपत्तियों (जैसे मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान) द्वारा ऐसे वक्फ को सुरक्षा प्रदान की गई है जो वक्फ संपत्ति के रूप में बनी रहेंगी, सिवाय इसके कि संपत्ति पूरी तरह या आंशिक रूप से विवाद में है या सरकारी संपत्ति है। उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ से तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जहां किसी संपत्ति को सिर्फ इसलिए वक्फ माना जाता है क्योंकि उसका उपयोग लंबे समय से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है, भले ही मालिक द्वारा कोई औपचारिक, कानूनी घोषणा न की गई हो।

सवाल : क्या मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान की पारंपरिक स्थिति प्रभावित होगी?

सच्चाई : वक्फ संपत्तियों के धार्मिक या ऐतिहासिक चरित्र में हस्तक्षेप नहीं करता। इन स्थलों की पवित्र प्रकृति में बदलाव करना नहीं बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाना ही इसका उद्देश्य है।

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