पवनपुत्र और संकटमोचक जैसे कई नामों से पुकारे जाने वाले बजरंगबली हनुमान इन दिनों राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गए हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले हनुमान को दलित जाति का बताया, जिसके बाद कई नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के ही कई नेताओं ने अभी तक हनुमानजी को अलग-अलग जातियों में शामिल कर दिया है. पहले बजरंगबली की जाति पर घमासान था, अब उनकी नस्ल-वर्ग की भी खोज कर ली गई है. पढ़ें अभी तक हनुमान की जाति पर कैसे घमासान मचा हुआ है.
‘योगी के दलित हनुमान’
सबसे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान को दलित बताया. अलवर में एक रैली में उन्होंने कहा था कि बजरंगबली दलित थे. उन्होंने बजरंगबली को दलित, वनवासी, गिरवासी और वंचित करार दिया था. योगी ने कहा था कि बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं. उनके इस बयान की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना की गई.
‘योगी ने बोला, योगी ही बताएंगे’
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से सवाल पूछा गया. तो उन्होंने कहा कि, “हनुमान दलित हैं जैसी टिप्पणी मुझे अनुचित नहीं लगती, इसका जवाब योगी से पूछना चाहिए. उन्होंने रामायण के एक पक्ष को अपने हिसाब से बताया है.” पंचायत आजतक में शाह ने कहा कि योगी एक बड़े सूबे के मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने हनुमान का वर्णन किया है वो बेहतर बता पाएंगे.
‘दलित नहीं, आर्य थे हनुमान’
‘ना दलित-न आर्य, वनवासी थे हनुमान’
राजनीतिक बयानबाजी के बीच अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय का भी बयान आया. उन्होंने हनुमान को अनुसूचित जनजाति बताया. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति में हनुमान एक गोत्र होता है. हनुमान जी दलित नही हैं अनुसूचित जनजाति के हैं.
हनुमान जी की जाति का मुद्दा जब से राजस्थान के चुनाव प्रचार में सामने आया है, कांग्रेस तभी से ही बीजेपी पर हमलावर है. ये मुद्दा अब कानूनी दांवपेंच में भी उलझता जा रहा है. योगी आदित्यनाथ के बयान पर कई संगठनों/आयोगों ने उन्हें नोटिस भेजा है.