ब्लूमबर्ग डेटा गाइड के अनुसार, अदाणी ग्रुप का ऊर्जा व्यवसाय अब लगभग 31 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2.32 लाख करोड़ रुपये) का हो गया है। जो 2 वर्ष पूर्व 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब था। इस बाजार केपिटलाइजेशन के साथ, अदाणी टॉप 20 वैश्विक ऊर्जा (ऑयल और गैस को छोड़कर) कंपनियों में शामिल हो गया है। इससे यह भी साफ़ है कि निवेशक समुदाय ने गौतम अदाणी के दृष्टिकोण और इसे साकार करने के लिए अदाणी ग्रुप की क्षमताओं में जबरदस्त विश्वास दिखाया है। फ्रांस के टोटल और जीसीसी के क्यूआईए का अदाणी की इस यात्रा में शामिल होना, इसके कुछ बेमिसाल उदाहरण हैं।
उल्लेखनीय है कि ऊर्जा क्षेत्र के बुनियादी सिद्धांत अगले 5-10 वर्षों के लिए इस क्षेत्र में तेज प्रगति की सस्टेनेबिलिटी सुनिश्चित करेंगे। इसके अतिरिक्त सुचारू रूप से चल रही परियोजनाओं के साथ, रिन्यूएबल बिजनेस के प्रति मजबूत दृष्टिकोण बने रहने का भी अनुमान है। वहीं रिन्यूएबल सेक्टर इस दशक में 300-400 गीगावॉट क्षमता में शामिल होने का गवाह बनेगा और इससे एजीईएल जैसे बड़े डेवलपर्स के लिए अनेकों नए अवसर भी उपलब्ध होंगे।
इसके आलावा ट्रांसमिशन व्यवसाय में अगले 5 वर्षों के भीतर 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर (4 लाख करोड़ रुपये) के निवेश की उम्मीद है, जबकि वितरण व्यवसाय में सरकार को बीमार यूटिलिटी को पुनर्जीवित करने के लिए, 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर (3 लाख करोड़ रुपये) का निवेश मिलने की भी उम्मीद है। वहीं जारी ऊर्जा संक्रमण भी रिन्यूएबल, थर्मल, बैटरी भंडारण और हाइड्रोजन के साथ संयोजन करने वाली नई परियोजनाओं की राह बनाने में मदद करेगा।
डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने और उसमे तेजी लाने से वैल्यू चेन डायवर्सिफिकेशन के नए अवसरों को भी जन्म दिया जा सकता है। अदाणी ग्रुप ने समय से आगे रहने, भविष्य की प्रौद्योगिकियों की खोज जारी रखने तथा शुरुआती निवेशों के लिए इसका समर्थन करने हेतु, स्ट्रेटजिक और एप्लाइड रिसर्च टीमों का निर्माण किया है। “मालिक्यूल्स” से लेकर “वॉल-सॉकेट कंजम्पशन” तक पूरी वैल्यू चेन की कवरेज अदाणी एनर्जी एंटरप्राइजेज के स्थायी मॉडल के लिए अच्छा संकेत है।
इन रिसर्च टीमों के माध्यम से विकास कार्यान्वयन और संचालन उत्कृष्टता पर जोर देते हुए, विकास और मानव संसाधन पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। शायद इसी सोच ने अदाणी समूह को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने में सक्षम बनाया है, जो इस तथ्य से साबित होता है कि मुंद्रा में 4600 मेगावाट प्लांट में सुपरक्रिटिकल तकनीक का सर्वाधिक उपयोग करने वाली यह पहली कंपनी रही है; जिसने पश्चिमी गुजरात से एनसीआर क्षेत्र के बीच 500 केवी डीसी पर 1000 किमी की एचवीडीसी लिंक बनाने से लेकर; 800 मेगावाट फुटप्रिंट के साथ झारखंड में अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल प्लांट का निर्माण करने; ट्रैकर-आधारित सोलर पीवी प्लांट बनाने और अब गुजरात के पश्चिमी सीमा क्षेत्र में 10,000 मेगावाट से अधिक का हाइब्रिड प्लांट लगाने की प्रक्रिया को बल दिया है।
अदाणी एनर्जी के इस बहु-आयामी दृष्टिकोण के कारण ही कई नए अवसर उपलब्ध हुए हैं, क्योंकि अगले दशक में बिजली‘मालिक्यूल्स’ की जगह ले लेगी और आम तौर पर ‘मालिक्यूल्स’ ऑयल से हाइड्रोजन में इस्तेमाल किये जायेंगे।