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जिंदगी की जंग हार गया ग्वालियर का छोटू, इलाज के दौरान मौत

 ग्वालियर
 रेलवे स्टेशन पर निर्माणाधीन इमारत से सरियों पर गिरा युवक छोटू जाटव आखिर जिंदगी की जंग हार गया। मंगलवार की दोपहर छोटू की इलाज के दौरान मौत हो गई। पिछले तीन दिन से छोटू वेटिंलेटर पर था।

डॉक्टरों ने बताया कि छाती और पेट में घुसे तीन सरिये भले ही ऑपरेशन कर निकाल दिए गए थे, लेकिन फेंफड़ों में फैला इंफेक्शन छोटू की मौत का कारण बन गया। जटिल आपरेशन के सात दिन बाद छोटू जिंदगी की जंग हार गया।

वेंटिलेटर पर था, परिवार में गम का माहौल

    मृतक के भाई सोनू जाटव ने बताया कि पिछले दो दिन से छोटू वेंटिलेटर पर था, उसे ब्लड भी चढ़ाया गया, लेकिन मंगलवार की दोपहर करीब सवा दो बजे वह हमें छोड़कर चला गया।

    डॉक्टरों ने छोटू को बचाने का प्रयास किया, लेकिन सांसें थम गईं। उधर जैसे ही उपनगर ग्वालियर के घासमंडी स्थित घर पर छोटू की मौत का समाचार स्वजन तक पहुंचा, तो माहौल गमगीन हो गया।

    छोटू की मां बेहोश होकर गिर पड़ी। छोटू के शव को पीएम हाउस में रखवा दिया गया है। स्वजन मंगलवार को पीएम कराएंगे और बाद पैतृक निवास लेजाकर अंतिम संस्कार किया जाएगा।

यह था पूरा मामला

29 अक्टूबर को रेलवे स्टेशन पर निर्माणाधीन इमारत पर काम करते समय छोटू जाटव (35) नीचे गिर गया था। उसके पेट और छाती में तीन सरिये घुस गए थे। गंभीर हालात में उसे जेएएच के ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए ले जाया गया था। यहां सीटी स्कैन जांच के लिए पहले ग्राइंडर से उसके सरियों को काटा गया।

डॉक्टरों ने सवा घंटे ऑपरेशन कर छाती और पेट में घुसे सरियों को निकाला। इस जटिल ऑपरेशन के बाद न केवल डॉक्टर, बल्कि स्वजन आश्वस्त थे कि अब छोटू की जिंदगी बच जाएगी, लेकिन मंगलवार की दोपहर उसने दम तोड़ दिया।
ऊर्जा मंत्री भी पहुंचे थे जानकारी लेने

मध्य प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर छोटू जाटव के सफल ऑपरेशन के बाद उसके स्वास्थ्य की जानकारी लेने एक हजार बिस्तर अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने आपरेशन करने वाले चिकित्सकों का सम्मान भी किया था। साथ ही परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया था।

इस दिन तक छोटू के स्वास्थ्य में सुधार था, लेकिन देर रात उसकी तबीयत बिगड़ी और उसे वेटिंलेटर पर ले लिया गया, लेकिन इसके बाद भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि छोटू की सांसे थम जाएंगी।