* पर्यावरण और खेती की रक्षा के लिए वृक्षारोपण के साथ प्राकृतिक खेती ही एकमात्र विकल्प : कमल पटेल
आम सभा, हरदा/भोपाल।
कृषि मंत्री एवं किसान नेता कमल पटेल ने पर्यावरण जागरूकता के विषय में किसानों से आव्हान करते हुए कहा कि आज के समय में पर्यावरण की चिंता करना हम सब का कर्तव्य है। पर्यावरण की सुरक्षा का सुरक्षा चक्र बनाना बहुत ही जरूरी हो गया है। इसलिए पर्यावरण रक्षा के लिए वृक्षारोपण और गौवंश आधारित प्राकृतिक खेती कि ओर हमें बढ़ना होगा। इसके लिए केंद्र में मोदीसरकार और प्रदेश में शिवराज सरकार ने पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं किसान वर्ग के लिए शुरू की हैं। हमारे प्रदेश में सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन किया है। राज्य सरकार प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए ग्राम स्तर तक वातावरण बनाने और इसमें किसानों की सहायता करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। गौवंश आधारित प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए हमारी सरकार ने जो किसान देशी गाय पालता है और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ता है तो उसे प्रतिमाह ₹900 देने का प्रावधान किया है।
मंत्री पटेल ने कहा कि फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए आज हम इतने आगे बढ़ गए कि ज्यादा से ज्यादा रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्याधिक मात्रा में उपयोग करने लगे। जिसके कारण परिणाम हुआ कि खेत की मिट्टी का क्षरण हो रहा है साथ ही मनुष्य कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित होते जा रहे हैं। इन्हें नियंत्रित करने करने के लिए प्राकृतिक खेती ही एक मात्र रास्ता है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा हमको वैसे ही करनी पड़ेगी जैसे हम घर में बच्चे का लालन पोषण करते हैं। पर्यावरण की रक्षा के लिए वृक्षारोपण बहुत जरूरी है। हम जब पौधा रोपण करते हैं तो वह एक बच्चे के समान ही होता है। उसका भरण पोषण उसकी रक्षा सुरक्षा करना हम सबका दायित्व है। पौधा कोई भी हो चाहे वह पीपल हो या आम का हो सभी का पर्यावरण के लिए महत्व है। आम का पेड़ तो हमें पर्यावरण का सुरक्षा कवच प्रधान तो करता ही है लेकिन हमारे परिवारों को मीठे मीठे फल भी देता है।
कृषि मंत्री कमल पटेल ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केंद्र हरदा में वसुमता क्लस्टर कैंप द्वितीय चरण सह कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करने के पश्चात पर्यावरण की सुरक्षा और प्राकृतिक खेती करने के लिए शपथ भी दिलाई।