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एक ग्रीष्मकालीन शिविर जो माता-पिता को समर्थ करता है कि वे अपने बच्चों को प्राचीन काल की बुद्धिमत्ता के खजाने से परिचित करा सकें

• हार्टफुलनेस5 से 15 वर्ष के छात्रों के लिए भगवद्गीता पर आधारित गीतोपदेशपाठ्यक्रम की शुरूआत कर रहा है जो समझने, आत्मसात करने और लागू करने में आसान हैं और मूल्य-आधारित शिक्षा को मन में बैठा देता है

हैदराबाद : हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट, जो कि हार्टफुलनेस संस्था का शैक्षणिक विभाग है, ने छात्रों के लिए भगवद् गीता की प्राचीन शिक्षा को जीवंत करने के लिए गीतोपदेश कार्यक्रम की शुरुआत की है। हार्टफुलनेस द्वारा प्रस्तुत गीतोपदेश एक वर्चुअल पाठ्यक्रम है जिसका उद्देश्य भगवद् गीता के श्लोकों के माध्यम से संस्कृत सीखने में सक्षम बनाना और इसकी शिक्षाओं से जीवन भर के लिए अमूल्य सीख को आत्मसात करना है।

इस पाठ्यक्रम में छात्रों को 120 श्लोकों की शिक्षा दी जाएगी जिन्हें गीता के 18 अध्यायों से लिए गए 20 विषयों से जोड़कर प्रतिचित्रण किया गया है। यह 5 वर्ष से 15 वर्ष के आयु वर्ग छात्रों के लिए 6-महीने का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम है। गीतोपदेश का शुभारंभहार्टफुलनेस के वैश्विक गाइड श्री कमलेश डी पटेल (दाजी)ने किया औरश्री नितीश भारद्वाज, प्रसिद्ध अभिनेता और पूर्व सांसद ने सम्मानित अतिथि के तौर के पर उद्घाटन समारोह को शोभायमान किया।

हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट ने संस्कृत भाषा और अपनीप्राचीन पांडुलिपियों के बारे में छात्रों को उत्साहित करने के लिए गीतोपदेश कार्यक्रम को प्रारंभ किया है। हार्टफुलनेसगीतोपदेश के माध्यम से पांडुलिपियों के कोष तक सिर्फ पहुँच ही उपलब्ध नहीं करा रहा है बल्किअपनी भावी पीढ़ियों के लाभ के लिए प्राचीन परंपराओं और बुद्धिमत्ता को भी पुनर्जीवित कर रहा है।

उद्घाटन अवसर पर हार्टफुलनेस के वैश्विक गाइड कमलेश डी पटेल ने कहा, “हमारी प्राचीन परम्पराएं और शास्त्र अपनी शिक्षाओं में शाश्वत हैं। चाहे योग का अभ्यास सीखना हो, ध्यान सीखना हो, एक भाषा के तौर पर संस्कृत सीखना हो अथवाभगवद् गीताजैसेअपने प्राचीन शास्त्र का अध्ययन करना हो।जब किहम इतने भाग्यशाली हैं कि हमारे प्राचीन अभ्यासों और शास्त्रों में ऐसाव्यापक ज्ञान छिपा हुआ है, जो समय के साथ विलुप्त हो गया है और कुछ ही लोगों के द्वारा इनका अभ्यास किया जाता है। इस मंच के माध्यम से हम ज्ञान को सुलभ बना रहे हैं और अपनी भावी पीढ़ी के लिए बोधगम्य बना रहे हैं। उनके मस्तिष्क को संस्कृत शिक्षा में लगा कर, हम उम्मीद करते हैं कि उनमें अपने शास्त्रों से और अधिक सीखने तथा उनकी शिक्षाओं को ग्रहण करने की रुचि उत्पन्न होगी”।

पाठ्यक्रम में गीता के 18 अध्यायों से 20 विषयों को सम्मिलित किया गया है, जैसे कि अपनी आंतरिक क्षमता की खोज, अपनी मन की शक्ति पर प्रभुत्व बनाना, आदतों का निर्माण, संयम, भोजन के प्रति रवैया, और इसी प्रकार की अन्य चीजें जो कि छात्रों को एक मजबूत आधार के निर्माण में सहायता करती हैं।

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