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विश्व विरासत पटल पर उभरने का चंदेरी को एक बार फिर मिला है मौका

आम सभा, विशाल सोनी, चंदेरी : बुनकर कला एवं हस्तशिल्प को यूनेस्को की विश्व धरोहर की क्रिएटिव सिटी की सूची में नाम नामांकित कर लिया गया है जल्द ही बेल्जियम का एक दल 98 दिन की यात्रा पर चंदेरी आएगा और वह चंदेरी की संस्कृति एवं प्राचीन कला, शिल्प कौशल के बारे में अध्ययन कर 10 बिंदुओं पर मूल्यांकन पश्चात डोजियर तैयार कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगा।

कलेक्टर जिला अशोकनगर के फेसबुक वॉल के माध्यम से शुक्रवार को जारी पोस्ट के आधार पर प्राप्त जानकारी अनुसार विश्व विरासत पटल ( यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट) पर चंदेरी को नामांकित सूची में शामिल किया गया है जिसमें चंदेरी सहित पूरे जिले के नागरिकों में खुशी का माहौल देखने को मिला है यदि संभावनायें विपरीत नहीं रही तो चंदेरी नगर विश्व विरासत पटेल पर उभरकर सामने आएगा जो कि नगर के लिए एक महान उपलब्धि होगी।

हथकरघा एवं शिल्प कौशल को दी गई है प्राथमिकता

इस बार चंदेरी को विश्व विरासत पटल पर अंकित कर स्थान प्राप्त करने के लिए हथकरघा एवं शिल्प कौशल को प्राथमिकता प्रदान की गई है चंदेरी मैं हस्तनिर्मित चंदेरी साड़ी जोकि 1304 से आज तक परंपरागत तरीके से संचालित हथकरघा उद्योग अपनी एक विशेष पहचान बनाए हुए हैं। जहां सूती और रेशमी धागे से सौ फ़ीसदी बिना मशीनरी के हस्त निर्मित प्राकृतिक धागों से तैयार चंदेरी साड़ी एंव बुनकर कला कौशल को प्राथमिकता प्रदान की गई है।

17 साल बाद हो सकता है सिंधिया का सपना साकार

इस अवसर पर पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा प्रसन्नता व्यक्त करते हुए अपने ट्विटर के माध्यम से 2 ट्वीट किए गए हैं जिसमें पहले ट्वीट में लिखा है कि चंदेरी को विश्व के मानचित्र पर स्थापित करने का मेरा सपना अब हकीकत में बदलने जा रहा है विश्व धरोहर सूची में चंदेरी का नामांकित होना चंदेरी कोई नहीं समूचे प्रदेश को गौरव का विषय है।

दूसरे ट्वीट के माध्यम से लिखा है कि मैंने विगत 17 वर्षों में चंदेरी की कला एवं शिल्प को विश्व के मानचित्र तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया है जो आगामी समय में धरातल पर परिलक्षित होते दिख रहा है।

चंदेरी को विश्व विरासत पटल पर शामिल करने हेतु अन्य संभावनाएं भी है मौजूद

1-चंदेरी की हस्त निर्मित साड़ी एवं बुनकर कला सैकड़ों वर्षों से अपनी जीवंत स्थिति बनाए हुए हैं जिसका अध्ययन इंडो फ्रेंच रिचर्स ग्रुप ने सन 1991 से 2001 के मध्य में किया था जिसमें उन्होंने चंदेरी से 650 साल पहले चंदेरी साड़ी को विस्तृत रूप प्रदान करने एवं बुंदेलखंड में अपनी कला को फैलाने का प्रयास किया जहां कुटीर उद्योग 700 साल से अपना अस्तित्व बनाए रखने का उल्लेख किया है। जो की विश्व विरासत पटल पर चंदेरी का नाम अंकित कराने मैं महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

2- तुर्की का एक मशहूर शहर कपाडोसिया जोकि पूर्व में विश्व विरासत पटेल में शामिल किया गया है उसकी विशेषता यह है कि पूरा शहर ही चट्टानों को काटकर बनाया गया है ऐसी ही विशेषता चंदेरी शहर में मौजूद है वहीं विश्व में दूसरा शहर एकमात्र चंदेरी ही है जिसमें जमीन के अंदर कमरे( तलघर) पाए जाते हैं पूरे शहर में तलघरों का पाया जाना विश्व विरासत पटल पर चंदेरी शहर को दर्शाने में अपने आप में एक महत्वपूर्ण विशेषता भी रखता है।

3- चंदेरी एवं चंदेरी के आस-पास पांचवी शताब्दी से लेकर 19वी शताब्दी तक किए गए भवनों के निर्माण में आकर्षक छवि देखने को मिलती है जहां अलग-अलग राजवंशों द्वारा राज्य किया गया जिनमें गुप्त राजवंश, गुर्जर प्रतिहार राजवंश, कछवाहा राजवंश, खिलजी राजवंश, चित्तौड़गढ़ सिसोदिया राजवंश, तुगलक राजवंश, गौरी राजवंश, मालवा के खिलजी, गुलाम वंश, लोदी राजवंश ,सूरी राजवंश ,मुगल राजवंश , बुंदेला एवं सिंधिया राजवंश शामिल है। जिनके आधार पर भी चंदेरी को विश्व विरासत पटल में अपना स्थान प्राप्त हो सकता है।

पूर्व में दो बार विश्व विरासत पटल पर स्थान पाने में असफल रही है चंदेरी

पूर्व के वर्षों में विश्व विरासत पटल पर स्थान पाने का दो बार चंदेरी को अवसर प्राप्त हो चुका है किंतु चंदेरी शहर की बदनसीबी कहें जहां उसे दो बार ही असफलता हाथ लगी है।

प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2012 13 मई जर्मनी का 3 सदस्य दल चंदेरी आया था और आधारभूत तथ्यों के आधार पर मूल्यांकन कर चंदेरी शहर मूल्यांकन भी किया गया किंतु संयुक्त राष्ट्र संघ के पटल पर डोजियर के द्वारा संभावित अस्थाई चयन सूची में रिपोर्ट गठित भी की जा चुकी थी जो कि आज भी यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल है किंतु विश्व विरासत पटल पर अपना स्थान बनाने में असफलता हाथ लगी।

वर्ष 2015 -16 में एक बार फिर यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल होने के लिए चंदेरी का नाम उभरकर सामने आया किंतु डोजियर तैयार होने के बाद ही विश्व विरासत पटल पर पहुंचने में असफलता ही हाथ लगी।

इनका कहना है।

दिसंबर आखिरी तक चंदेरी में जांच दल आने की संभावना है इस बार हस्तशिल्प कला को प्रमुखता दी गई है साथ ही नगर के सौंदर्यीकरण एवं भौगोलिक स्थिति के आधार पर आकलन किया जाएगा पिछली बार की अपेक्षा इस बार सारी परिस्थितियां हमारे अनुकूल नजर आ रही हैं और मुझे आशा है कि जांच दल भी सकारात्मक रिजल्ट देकर ही जाएगा। – जज पाल सिंह जज्जी, विधायक अशोकनगर

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