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रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए पत्रिका के 300वें अंक का विमोचन

आम सभा, भोपाल : आईसेक्ट की इलेक्ट्रानिकी, कम्प्यूटर विज्ञान एवं नई तकनीक पर प्रकाषित होने वाली हिन्दी पत्रिका की “इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए” के 300वें अंक का विमोचन सोमवार को रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के शारदा सभागार में किया गया। इसके साथ ही पत्रिका ने अपने 30 वर्ष भी पूर्ण कर लिए हैं। इस अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में जाने माने विज्ञान संचारक और लेखकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपाति और इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए पत्रिका के मुख्य संपादक संतोष चौबे ने की। मुख्य अतिथि के रूप में सीएसआईआर-निस्केयर दिल्ली के निदेशक डॉ. मनोज पटैरिया उपस्थित रहे। वहीं बतौर विशिष्ट अतिथि पूर्व मुख्य सचिव, म.प्र. शासन शरदचंद्र बेहार, पूर्व निदेशक विज्ञान प्रसार अनुज सिन्हा, वरिष्ठ विज्ञान लेखक देवेन्द्र मेवाड़ी, मनीष मोहन गोरे, इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए की संपादक विनीता चौबे, आईसेक्ट समूह के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए. के. ग्वाल मौजूद रहे। कार्यक्रम के पहले सत्र की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से हुई। स्वागत वक्तव्य आईसेक्ट समूह निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने दिया और इस दौरान आईसेक्ट का परिचय देते हुए संस्थान द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आईसेक्ट सामाजिक उद्यमिता और कौशल विकास पर कार्य कर रहा है। मुख्य वक्ता सीएसआईआर-निस्केयर दिल्ली के निदेशक डॉ. मनोज पटैरिया ने कहा कि समाज में विज्ञान को लेकर कई तरह के भ्रम फैले हुए हैं, इन भ्रम को इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए जैसी पत्रिकाएं दूर करने का कार्य कर सकती हैं। विज्ञान संचार की कमी विकास में भी बाधक बनता है। इसलिए साइंस को लोगों तक पहुंचाना जिम्मेदार लोगों की साइंस सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी है।

कार्यक्रम का अध्यक्षीय उद्बोधन रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए पत्रिका के मुख्य संपादक संतोष चौबे ने दिया। उन्होंने कहा कि जब 1987-88 में इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए पत्रिका को शुरू कर रहे थे तो लोग कहा करते थे कि विज्ञान पर पत्रिका कौन पढ़ेगा। पर हम आशान्वित थे कि लोग ज्ञान-विज्ञान पढ़ते हैं, क्योंकि उसी समय (1985-90) हमने कम्प्यूटर एक परिचय पुस्तक निकाली थी जिसकी 10 लाख प्रतियां बिकी थीं। हमारे लिए यह भी सफलता का विषय है कि जहां एक ओर विज्ञान पत्रिका बंद हो रही हैं, वहीं इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए की प्रतिमाह 40 हजार प्रतियां बिक रही हैं। आगे उन्होंने लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की बात कही। साथ ही कहा कि बेहतर विकास के लिए हमें अपने पारंपरिक ज्ञान को भी अपनाना होगा। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के भारत आने से पहले भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। यह उपलब्धि बिना विज्ञान के संभव नहीं ही हो सकती है। इसलिए हमें अपने पारंपरिक ज्ञान की अच्छी चीजों को अपनाएं और खराब को छोड़कर आगे बढ़ें।

इसके बाद विज्ञान प्रसार में वैज्ञानिक और विज्ञान लेखक मनीष मोहन गोरे ने अपने वक्तव्य में विज्ञान प्रसार के कुछ मूलभूत उद्देश्य बताए जिसमें तकनीक की जानकारी साझा करना, अन्धविश्वास हटाना, जन मानस में वैज्ञानिक दृ ष्टिकोण का विकास करना, बच्चों और युवाओं में कौशल विकास, महिलाओं, किसानों, आदिवासियों को वैज्ञानिक जानकारियां देना आदि शामिल है।

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