चंडीगढ़ :
पंजाब में कई दिनों तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। दोनों नेताओं के बीच कुछ दिनों तक चली जुबानी जंग के बाद मुख्यमंत्री ने शनिवार को पंजाब कैबिनेट से सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया, जिसे उन्होंने पहले राहुल गांधी को भेजा था। हालांकि बाद में उन्होंने इसी सप्ताह इसे सीएम के पास भेजा, जिसे उन्होंने शनिवार को स्वीकार कर लिया। सीएम ने इसे राज्यपाल विजयेंद्र पाल सिंह बदनोर को भेजा, जिन्होंने इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
सिद्धू ने बीते सप्ताह ट्वीट कर बताया था कि उन्होंने अपना इस्तीफा राहुल गांधी को जून में ही भेज दिया था। हालांकि इसकी कोई साफ वजह सामने नहीं आ सकी कि पंजाब कैबिनेट से इस्तीफे का पत्र उन्होंने सीएम को भेजने की बजाय राहुल गांधी को क्यों भेजा, जो अब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। सिद्धू ने 14 जुलाई को ट्वीट कर कहा था कि उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया है और यह मुख्यमंत्री कार्यालय को मिल गया है। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि वह इसे देखेंगे और इस पर बाद में निर्णय लेंगे।
सिद्धू ने राहुल को भेजे इस्तीफे की जो प्रति अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की है, उसमें उन्होंने सिर्फ इतना लिखा है कि वह पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने इसकी कोई वजह नहीं बताई।
सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर के बीच जुबानी जंग लोकसभा चुनाव के समय से ही खुलकर सामने आने लगी थी। अमरिंदर से कड़वाहट के बीच सिद्धू ने कहा था, ‘मेरे कप्तान राहुल गांधी हैं, जो कैप्टन (अमरिंदर) के भी कप्तान हैं।’ दोनों नेताओं के बीच तनातनी तब भी सामने आई, जब सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने आरोप लगाया कि अमृतसर से उनका टिकट सिर्फ कैप्टन अमरिंदर की वजह से कट गया। हालांकि अमरिंदर ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि यह फैसला पंजाब कांग्रेस कमेटी ने इस आधार पर लिया था कि यहां से उनकी दावेदारी कमजोर है।
लोकसभा चुनाव के बाद पंजाब मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल के बाद दोनों नेताओं के बीच तनाव और बढ़ गया, जब कैप्टन ने सिद्धू का मंत्रालय बदल दिया। इस बदलाव में सिद्धू से स्थानीय शासन विभाग छिन गया और उन्हें विद्युत एवं नई व नवीकरणीय ऊर्जा विभाग दिया गया। हालांकि सिद्धू को यह फैसला रास नहीं आया। अपना विभाग बदले जाने से नाराज लगभग महीने तक मंत्रालय नहीं गए, जिसके कारण यहां विपक्षी दलों- बीजेपी, अकाली दल ने भी सवाल उठाए।