Thursday , December 26 2024
ताज़ा खबर
होम / देश / बिहार में अब तक 54 बच्चों की मौत, लीची पर दोष?

बिहार में अब तक 54 बच्चों की मौत, लीची पर दोष?

मुजफ्फरपुर
बिहार के मुजफ्फरपुर में संदिग्ध एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार के कारण मरने वाले बच्चों की संख्या 54 हो गई है। मुजफ्फरपुर जिले के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में अभी तक 46 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं केजरीवाल मातृ सदन (केएमएस) में 8 बच्चों की मौत हो चुकी है। गुरुवार तक कुल मिलाकर यह आंकड़ा 54 तक पहुंच गया। इस साल जनवरी से कुल 179 संदिग्ध एईएस मामले सामने आए हैं। इस बीच यह भी सवाल उठने लगे हैं कि कहीं इन बच्चों की मौत के पीछे लीची तो वजह नहीं है?

मौतों के कारणों की जांच के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सात सदस्यीय केंद्र सरकार की टीम मुजफ्फपुर में है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दावा किया है कि अधिकांश मौतें हाइपोग्लाइसीमिया (शरीर में अचानक शुगर की कमी) के कारण हुई हैं। इसका कारण इस इलाके में चिलचिलाती गर्मी, नमी और बारिश का न होना बताया जा रहा है। पहले की रिपोर्टों में कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एईएस के कारण हो रही इन मौतों के पीछे लीची का होना बताया था। कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर के आस-पास उगाई जाने वाली लीची में कुछ जहरीले तत्व हैं, जो इस बीमारी और मौतों का कारण हैं।

सुबह नाश्ते में लीची खा रहे हैं कुछ लोग

गर्मियों के दौरान इस इलाके के गरीब परिवारों से संबंधित बच्चों को आमतौर पर नाश्ते के लिए सुबह से ही लीची खाने को दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह फल बच्चों में घातक मेटाबॉलिक बीमारी पैदा करता है, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया इंसेफेलोपैथी कहा जाता है। लीची में मिथाइल साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन (MCPG), नाम का एक केमिकल भी पाया जाता है।

जब शरीर में देर तक भूखे रहने और पोषण की कमी के कारण शरीर में शुगर लेवल कम हो जाता है तो यह मस्तिष्क को प्रभावित करता है। बिहार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे अपने बच्चों को खाली पेट लीची न खिलाएं और आधा पका हुआ या बिना लीची वाला भोजन ही करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)