नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘इफ्तार’ पार्टी में शामिल होने के लिए मंगलवार को एनडीए के अपने सहयोगियों पर तंज कसा. जिसपर नीतीश कुमार ने आज कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ये लोग किसी धर्म के नहीं होते हैं. उन्होंने आज कहा, ”कुछ लोग मीडिया में आने के लिए बयान देते हैं. इसपर बोलना बेकार है. यह लोग किसी धर्म के नहीं होते हैं.” नीतीश कुमार पटना के गांधी मैदान पहुंचे थे, जहां उन्होंने ईद की शुभकामनाएं दी.
नीतीश कुमार ने बगैर नाम लिए कहा, ”आज समाज में अपशब्दों का प्रयोग होता है बंद होना चाहिए. किसी भी धर्म को अपनाइए, प्रेम से काम करिए. एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रखिए. जो इधर उधर सोचता है उसको धर्म में आस्था नहीं है, वो धार्मिक व्यक्ति नहीं है. कुछ लोगों की आदत होती है. ऐसी बात कहें जिससे प्रतिक्रिया हो और मीडिया में जगह मिले. हम सबको जानते हैं. ऐसी बातों को कौन मानता है और एप्रिशिएट करता है, सबको जानते हैं. ऐसी बातों पर हम कभी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं.”
उनके इस ट्वीट के बाद जेडीयू ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मामले को शांत करने के लिए हिंदुत्वादी नेता की आलोचना की और उनसे ऐसे बयानों से बचने के लिए कहा.
राज्य कैबिनेट में नीतीश कुमार के साथ काम करने के दौरान उनके विरोधी रहे गिरिराज सिंह के बारे में ऐसा प्रतीत हुआ कि उन्होंने विशेष तौर पर मुख्यमंत्री को निशाना बनाया जो सभी फोटोग्राफ में नमाजी टोपी में नजर आए और नमाज के रूमाल से उनका कंधा ढका हुआ था.
गिरिराज की टिप्पणी पर सुशील कुमार मोदी ने भी कड़ी असहमति जताई. उन्होंने कहा, ‘‘मै 25 वर्षों से इफ्तार पार्टियां आयोजित करता रहा हूं. मैं होली मिलन समारोह भी आयोजित करता हूं. जो लोग तंज कस रहे हैं उनके पास होली पर लोगों को दावत देने का दिल नहीं है. वे लोग कैसे इफ्तार पार्टी आयोजित करके एक हिंदू की उदारता की प्रशंसा करेंगे?’’
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दरअसल, जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने मोदी सरकार में बीजेपी द्वारा उनकी पार्टी को एक मंत्री पद की पेशकश से इनकार कर दिया था जिसके बाद बिहार के दो मुख्य दलों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं.
मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के बाद कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए अपनी पार्टी के आठ नए सदस्यों को उसमें शामिल किया. मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी के किसी सदस्य को जगह नहीं दी गई. एनडीए सूत्रों का कहना है कि सिंह की टिप्पणी से दोनों पार्टियों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचने की आशंका है. इसी के चलते अमित शाह को यह कदम उठाना पड़ा.