पाकिस्तान ने चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अज़हर के भाई समेत कई बड़े चरमपंथी नेताओं को हिरासत में लिया है.
पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को 44 लोगों को हिरासत में लिए जाने की जानकारी दी है.
इनमें मसूद अज़हर के भाई मुफ़्ती अब्दुर रऊफ़ भी शामिल है. मसूद अज़हर के अन्य रिश्तेदार हम्माद अज़हर को भी हिरासत में लिया गया है.
गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन लोगों को जांच के सिलसिले में एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया है.
पाकिस्तान स्थित चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ही भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में हुए चरमपंथी हमले की ज़िम्मेदारी ली थी.
सीआरपीएफ़ के काफ़िले को निशाना बनाकर किए गए इस आत्मघाती हमले में 40 से अधिक जवान मारे गए थे.
भारत ने पाकिस्तान को दिए डोज़ीयर में कई चरमपंथियों के नाम दिए थे. जो लोग हिरासत में लिए गए हैं उनमें से कई के नाम भारत की ओर से दिए गए ब्यौरे में शामिल थे.
लेकिन जब बीबीसी संवाददाता ने पाकिस्तान के गृह मंत्रालय में सचिव आज़म सुलेमान से इस विषय में सवाल किया तो उन्होंने कहा, “हां, इनमें से कई लोगों के नाम भारत की तरफ़ से दिए ब्यौरे में शामिल हैं. अगर उनके ख़िलाफ़ कोई सबूत है तो आगे की कार्रवाई की जाएगी.”
जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान में साल 2002 से ही प्रतिबंधित संगठन है. तो क्या इस ताज़ा कार्रवाई का कुछ असर होगा? पाकिस्तानी विश्लेषक आमिर राना कहते हैं कि पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठनों पर कई तरह की रोकें पहले से ही लगती रही हैं लेकिन ये बहुत प्रभावी नहीं रही हैं.
वो कहते हैं, जब उच्चस्तरीय बैठकें होती हैं तो प्रतिबंधों और ऐसे संगठनों के ख़िलाफ़ उठाए गए क़दमों का ज़िक्र तो होता है लेकिन ज़मीनी स्तर पर ये बहुत प्रभावी नहीं साबित हो पाते क्योंकि इन्हें मज़बूती से लागू नहीं किया जाता है.
राना कहते हैं, प्रतिबंध लगाना और कार्रवाई करना समस्या का पूर्ण समाधान नहीं है. सबसे बड़ा मुद्दा है इन संगठनों को चरमपंथ से दूर करना लेकिन इस दिशा में सरकार के पास कोई ठोस एक्शन प्लान दिखाई नहीं देता है.