नई दिल्ली
आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एक्जिक्युटिव चंदा कोचर को बैंक को 350 करोड़ रुपये वापस चुकाने पड़ सकते हैं? कोचर के बैंक से अलग होने की वजह अब सामान्य इस्तीफा नहीं माना जा रहा है बल्कि यह ‘टर्मिनेशन ऑफ क्लॉज’ है। यानी बैंक ने उन्हें बर्खास्त किया है। इकनॉमिकस टाइम्स ने पिछली रिपोर्ट्स को खंगाला और देखा कि कोचर को फाइनैंशल ईयर 2009 में जारी किए गए एंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शन (ESOPs) के तहत 343 करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये कैश बोनस मिला हो।
ईटी के आंकड़ों के मुताबिक, बैंक की सालाना रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2009 से 2018 के बीच कोचर को 94 लाख शेयर जारी किए गए। अब इस अवधि के लिए बैंक ने सभी भुगतानों के लिए क्लॉ-बैक और स्टॉक ऑप्शन्स मांगे हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हैं कि कितने ऑप्शन्स को वेस्टेड हैं और कितने अनवेस्टेड हैं। गौरतलब है कि एंप्लॉयी के खाते में स्टॉक ऑप्शन्स दिखाई तो पड़ते हैं, लेकिन उन पर अधिकार कंपनी का ही होता है न कि एंप्लायी का। लेकिन वक्त के साथ-साथ स्टॉक ऑप्शन्स एंप्लॉयी के मालिकाना हक में जाते रहते हैं और इन्हीं मालिकाना हक वाले स्टॉक ऑप्शन्स वेस्टेड ESOPs कहलाते हैं।
बैंक की रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 2009 से 2018 वित्तीय वर्ष के दौरान, 2009 छेड़कर कोचर हर साल शेयर मिले। बुधवार को एक शेयर की कीमत 365 रुपये थी, इस हिसाब से कोचर के कुल स्टॉक ऑप्शन्स की कीमत 343 करोड़ रुपये है। कोचर के शेयरों की यह कुल वैल्यू का अनुमान यह मानकर किया गया है कि उन्होंने बैंक द्वारा मिले सभी स्टॉक ऑप्शन्स का मालिकाना हक ले लिया है।
जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण कमिटी द्वारा जारी बयान के बाद, आईसीआईसीआई बैंक ने कहा था कि बैंक की आंतरिक नीतियों और कोड ऑफ कंडक्ट के तहत ‘टर्मिनेशन फॉर क्लॉज’ के अंतर्गत बैंक चंदा कोचर की मौजूदा और आगामी अधिकारों को वापस लेगा। इनमें कोई भी अनपेड अमाउंट, अनपेड बोनस या इन्क्रीमेंट और अनएक्सरसाइज्ड स्टॉक ऑप्शन्स, वेस्टेड व अनवेस्टेड व मेडिकल बेनिफिट्स और अप्रैल 2009 से मार्च 2018 के बीच दिए गए सभी बोनस को वापस करने की जरूरत होगी।
बैंक की 2008-09 और 2017-18 के बीच की सालाना रिपोर्ट से पता चलता है कि कोचर को कुल 10.12 करोड़ रुपये का कैश बोनस मिला, जो उन्हें वापस करा है। इसके अलावा, अनुमान है कि उनके अनवेस्टेड और वेस्टेड व अनएक्सरसाइज्ड स्टॉक ऑप्शन्स की कीमत 343 करोड़ रुपये है। इस तरह कोचर को कुल 353.12 करोड़ रुपये की राशि वापस करनी पड़ सकती है।
जस्टिस श्रीकृष्ण की एक सदस्यीय जांच में पाया गया कि कोचर के कारण बैंक के प्रोसेस कमजोर हो गए थे। इससे पिछले बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की ओर से की गई जांच में कोचर को बेदाग बताने पर सवाल उठ रहे हैं। इस जांच को शुरुआत में सार्वजनिक नहीं किया गया था।