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बिहार में उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा झटका, NDA से अलग होते ही दो भागों में बंटी RLSP

नई दिल्ली: 

एनडीए से नाता तोड़ने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा झटका लगा है. उनकी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) शनिवार को दो टुकड़ों में बंट गई. बिहार में रालोसपा के सभी दो विधायकों और इकलौते विधान पार्षद ने राजग(एनडीए) के साथ रहने की घोषणा करते हुए रालोसपा पर खुद दावा ठोंक दिया. इन नेताओं ने खुद को असली रालोसपा का नेता बताते हुए अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर व्यक्तिगत राजनीति करने का आरोप भी लगाया. इस प्रकार उपेंद्र कुशवाहा अपने ही दांव में फंस गए हैं.

पटना में रालोसपा के दोनों विधायकों सुधांशु शेखर और ललन पासवान तथा विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित की. इस दौरान उन्होंने राजग में ही रहने की घोषणा करते हुए कहा कि वे राजग में थे और आगे भी रहेंगे. उन्होंने कहा कि रालोसपा राजग से कभी अलग हुई ही नहीं है. उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने राजग में सम्मान नहीं मिलने के कारण राजग से रालोसपा के अलग होने की घोषणा की थी. कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर कुशवाहा राजग से नाराज थे.

पटना में हुए संवाददाता सम्मेलन में रालोसपा के विधान पार्षद संजीव शेखर ने राजग नेतृत्व पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार विधान मंडल में रालोसपा के तीनों सदस्य राजग के साथ हैं और आगे भी रहेंगे. उन्होंने हालांकि राजग नेतृत्व पर सवाल खड़ा करते हुए राजग नेतृत्व से भागीदारी के हिसाब से हिस्सेदारी की भी मांग की. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि राजग उन्हें सरकार में प्रतिनिधित्व दे या नहीं दे परंतु वे राजग को मजबूत करने के लिए काम करते रहेंगे.

इन तीनों नेताओं ने रालोसपा का दावा ठोंकते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ेगी तो वे लोग निर्वाचन आयोग से मिलकर अपनी बात रखेंगे. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि रालोसपा के अधिकांश कार्यकर्ता भी उनके साथ हैं. उपेंद्र कुशवाहा पर व्यक्तिवादी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए इन नेताओं ने कहा कि वे केवल अपने लाभ की बात करते हैें। उन्हें न पार्टी से मतलब रहा ना ही उन्हें बिहार से मतलब रहा.

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