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मिशेल के बाद माल्या की वापसी, 2019 में मोदी सरकार के लिए साबित होगा बड़ा दांव?

अगस्ता वेस्टलैंड में बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद अब मोदी सरकार जोर-शोर से कारोबारी विजय माल्या को स्वदेश लाने में जुटी है. लंदन के कोर्ट ने माल्या के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी भी दे दी है. भारत इसे बड़ी जीत के रूप में देख रही है. हालांकि माल्या के पास वहां की ऊपरी अदालत में अपील करने के विकल्प मौजूद हैं.

अगर मोदी सरकार विजय माल्या को भारत लाने में कामयाब रहती है तब यह सरकार के लिए बड़ी जीत मानी जाएगी. जनता में यह मैसेज जाएगा कि सरकार अब देश के साथ धोखाधड़ी करने वाले किसी आरोपी को नहीं छोड़ेगी. साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए माल्या की वापसी बड़ी राहत की खबर होगी.

जब माल्या ने लिया जेटली का नाम

क्योंकि खुद माल्या ने भारत छोड़ने से पहले सेटलमेंट के लिए अरुण जेटली से मुलाकात की बात कही है और तभी से जेटली विपक्ष के निशाने पर हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो विजय माल्या को भारत से भगाने में अरुण जेटली पर कथित मदद का आरोप भी लगाया है.

इसलिए जैसे ही सोमवार को लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की कोर्ट से विजय माल्या की प्रत्यर्पण को मंजूरी मिली, खुद अरुण जेटली ने ट्वीट कर खुशी जताई, उन्होंने लिखा, ‘आज भारत के लिए बड़ा दिन है. भारत से धोखाधड़ी करने वाला कोई भी सजा से नहीं बचेगा. एक अपराधी को यूपीए सरकार के दौरान फायदा पहुंचाया गया था. हालांकि एनडीए सरकार उसको वापस ला रही है.’

माल्या की वापसी और 2019 का चुनाव?

अरुण जेटली के ट्वीट से साफ है कि माल्या की वापसी से उनके ऊपर जो दाग लगे हैं वो तो धुलेंगे ही, साथ ही विपक्ष को चुप कराने के लिए मोदी सरकार को बड़ा हथियार हाथ लग जाएगा. हालांकि सरकार की कोशिश रहेगी की किसी भी तरह से 2019 लोकसभा चुनाव से पहले माल्या को भारत लाने में कामयाबी मिल जाए. माल्या की वापसी से सरकार की छवि जो जनता में थोड़ी धूमिल हुई है और चमक उठेगी और फिर लोकसभा चुनाव में ‘माल्या की वापसी’ ‘सरकार की वापसी’ की राह को आसान कर सकती है.

ढीले पड़े विजय माल्या के तेवर

हालांकि कहा जा रहा है जनवरी के आखिरी तक विजय माल्या को भारत वापस लाया जा सकता है. कोर्ट ने माल्या को ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 15 दिन का समय दिया है. इस बीच अपने ऊपर शिकंजा कसता देख माल्या के भी तेवर ढीले पड़ने लगे हैं, अब बैंकों के पैसे वापसी की बात करने लगे हैं. कोर्ट की सुनवाई से पहले मीडिया से बातचीत में माल्या ने कहा, ‘मैंने किसी का पैसा नहीं चुराया. मैंने बैंकों का पूरा पैसा चुकाने की बात की थी. बकाया चुकाने का प्रत्यर्पण से कोई लेना-देना नहीं है.’

जबकि एक ट्वीट में माल्या ने कहा, ‘जहां तक बैंकों के पैसों की बात है तो मैंने इसे पूरा 100 प्रतिशत लौटाने की पेशकश की है. मैं पूरी विनम्रता से बैंक और सरकार से कहता हूं कि वे पैसा ले लें. अगर मेरी पेशकश को अस्वीकार कर दिया गया तो क्यों?’

नीरव मोदी भी रडार पर

बता दें, विजय माल्या भारतीय बैंकों के 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज की अदायगी नहीं करने के मामले का सामना कर रहा है. वह अपने खिलाफ सीबीआई के लुकआउट नोटिस को कमजोर किए जाने का फायदा उठाते हुए मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया था. विजय माल्या के साथ ही हीरा कारोबारी नीरव मोदी और राहुल चौकसी मोदी सरकार के रडार पर हैं.

SC से भी माल्या को राहत नहीं

वहीं देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट से भी माल्या को झटका लग चुका है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विजय माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर उसकी संपत्तियां जब्त करने की कार्यवाही शुरू कर दी है. जिसके खिलाफ विजय माल्या ने अपने वकील के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने ईडी की कार्यवाही पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया.

लंदन की कोर्ट में माल्या पर सुनवाई

गौरतलब है कि भारत लंबे वक्त से माल्या के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा है. इससे पहले भी सीबीआई समेत दूसरे अधिकार लंदन जा चुके हैं. यहां तक कि लंदन में माल्या की गिरफ्तारी भी हो चुकी है, लेकिन उसे जमानत मिल गई थी. अब देखना होगा कि क्रिश्चियन मिशेल की तरह ही विजय माल्या को भारत लाने में जांच एजेंसियां कब तक सफल हो पाती हैं.

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