भोपाल।
आज सवेरे मैंने देखे बचपन के दो रंग, एक दुरंगा, नीला-पीला और दूजा बदरंग’’ ये कविता अचिन्तय भटनागर ने आज बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र में सस्वर पढ़कर खूब वाहवाही लूटी। हर्षित तिवारी ने जंगल में बाल दिवस मना, न्यौता देने दौड़े बच्चे’’ रोचक कविता सुनाई। नीना सिंह सोलंकी ने मोहक अंदाज में मेरा बचपन प्यारा बचपन तो अनिल अग्रवाल ने बच्चों झूमें गायें, बाल दिवस है आज रचना पढ़ी।
दीपावली पर बेहद खूबसूरत रचना अरविन्द शर्मा ने ‘दीपों की माला से जगमग दीवाली त्यौहार’ और अनुपमा श्रीवास्तव ‘अनुश्री’ ‘बच्चों के पलछिन याद करो’ पढ़कर बचपन के दिनों की याद दिलाई। गणित विषय पढ़ने का भय मिटाने वाली कविता किरण खोड़के ने यूँ पढ़ी ‘बोझ न समझो गणित विषय, सरल इसे बनाओ’। राजकुमारी चौकसे की कविता बोल मन न रहे कोइ गाँठ, बच्चो मन मिल जाये, षिक्षाप्रद रचना पढ़ी। विनिता राहुरीकर ने आसमान की सैर को बादलों की रेल चली है पढ़कर श्रोताओं को मुग्ध किया। गोष्ठी में श्रीमती उषा श्रीवास्तव, प्रवेष मदान, गोकुल सोनी ने भी अपनी रचनायें पढ़ीं।
इस अवसर पर चंद्रपाल सिंह यादव ‘मयंक’ की कविता ‘एक डाल के फूल’ का पोस्टर लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि डॉ. उषा खेर, डॉ. वन्दना मिश्रा, श्रीमती आषा शर्मा एवं श्रीमती उषा जायसवाल उपस्थित रहीं।