नई दिल्लीः
सीबीआई घूसकांड में एक और मोड़ आ गया है. सीवीसी (सेंट्रल विजिलेंस कमीशन) ने छुट्टी पर भेजे गए डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया है.
सीवीसी की जांच के पहले चरण में राकेश अस्थाना से मांगे जा रहे हैं सबूत
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ रिश्वतखोरी के मामले की जांच के लिए सीवीसी ने सीबीआई के दोनों शीर्ष अधिकारियो को तलब किया है. पहले चरण में राकेश अस्थाना से उनकी शिकायत के आधार पर सबूत मांगे जा रहे हैं. साथ ही सीबीआई से भी फाइलो को तलब किया गया है जिन्हें शिकायत के आधार पर खंगाला जा रहा है. सीवीसी के लिए ये जांच आसान नहीं है क्योंकि सीवीसी किसी प्राइवेट शख्स को पूछताछ के लिए नोटिस जारी नही कर सकता. ऐसे मे सीवीसी कोर्ट को केवल यह बतायेगा कि प्रथम दृष्टया रिश्वतखोरी का मामला बनता है या नहीं.
सीवीसी ने डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ भी शुरू की जांच
सूत्रो के मुताबिक सीवीसी ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ भी अपनी जांच शुरू कर दी है औऱ जांच के पहले चरण में सीबीआई से उन फाइलों को मंगाया गया है जिन्हें लेकर सीवीसी ने आलोक वर्मा पर सहयोग ना करने का आऱोप लगाया था. साथ ही सीवीसी ने जांच के पहले चरण में विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से भी उन तमाम सबूतों को सीवीसी को देने को कहा है जिनमें आलोक वर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपो की पुष्टि होती हो.
दस्तावेजों की जांच के बाद आलोक वर्मा को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने अब तक लालू यादव से संबंधित आईआऱसीटीसी और मोइन कुरेशी से संबंधित फाइलों की जानकारी भेज दी है. साथ ही सीबीआई की वो केस डायरी और अन्य दस्तावेज भी भेजे गए हैं जिनमें पहले आलोक वर्मा के खिलाफ सिलसिलेवार तरीके से आरोप लगाए गए थे. इन दस्तावेजों की जांच के बाद आलोक वर्मा को पूछताछ के लिए तलब किया जायेगा.
सूत्रों ने बताया कि जांच का यह मामला केन्द्रीय सतर्कता आयोग यानि सीवीसी के लिए भी आसान नही है क्योंकि यदि किसी प्राइवेट शख्स के बयानों की बात सामने आई तो सीवीसी किसी प्राइवेट शख्स को बुला कर पूछताछ नही कर सकता और ना ही किसी को गिरफ्तार करने या कस्टोडियल पूछताछ करने की अनुमति दे सकता है. साथ ही इस मामले में सीवीसी को अपने ऊपर बैठाए गए सुप्रीम कोर्ट के जज को भी रिपोर्ट देने से पहले संतुष्ट करना होगा.
सूत्रों के मुताबिक अब तक की जांच के दौरान जो तथ्य सामने आ रहे है उनके आधार पर सीवीसी कोर्ट को केवल यही रिपोर्ट देगा कि रिश्वतखोरी के इस मामले मे प्रथम दृष्टया मुकदमा बनता है या नही और यही रिपोर्ट सीबीआई के शीर्ष दोनों अधिकारियो का भविष्य तय करेगी.