Friday , November 22 2024
ताज़ा खबर
होम / देश / सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार बताए कैसे की राफेल विमान की डील

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार बताए कैसे की राफेल विमान की डील

भारत और फ्रांस के बीच फाइटर प्लेन राफेल को लेकर हुई डील के खुलासे की मांग को लेकर बुधवार कोसुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में दो याचिकाकर्ताओं ने अपील की है कि सरकार को इस डील में राफेल विमान की कीमतों का खुलासा करना चाहिए. तीसरे याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला ने सुनवाई से ठीक पहले अपनी याचिका वापस ले ली.

बता दें कि कोर्ट ने सरकार से राफेल विमान की कीमतों का खुलासा या तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने को नहीं कहा है. कोर्ट की ओर से डील की प्रक्रिया की जानकारी मांगी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को औपचारिक आदेश नहीं दिया है, बल्कि अटॉर्नी जनरल को सीलबंद लिफाफे में जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है.

क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट में

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह बताए कि उसने राफेल डील को कैसे अंजाम दिया है. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि 29 अक्टूबर तक वह डील होने की प्रक्रिया उपलब्ध कराए. मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.

मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि सरकार से कहिए कि इस बारे में कोर्ट सूचित किया जाए कि राफेल डील कैसे हुई. हम यह साफ कर दें कि हमने याचिका में लगाए गए आरोपों का संज्ञान नहीं लिया है. यह आदेश केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि फैसला लेने में समुचित प्रक्रिया का पालन किया गया. हम राफेल विमान की कीमत या एयरफोर्स के लिए इसकी उपयोगिता के बारे में नहीं पूछ रहे हैं.

इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि रक्षा सौदों में प्रोटोकॉल होता है. यह बताया जा सकता है.

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि अगर हम डील की जानकारी को छोड़कर इसमें फैसले लेने की प्रक्रिया की जानकारी मांगें तो क्या आप यह उपलब्ध करा सकते हैं?

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि संसद में राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जवाल पूछे गए थे, जिनकी जानकारी नहीं दी जा सकती है.

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. संसद में 40 सवाल पूछे गए हैं. उन्होंने कहा कि यह जनहित याचिका नहीं है, बल्कि चुनावों के समय राजनीतिक फायदे के लिए लाई गई याचिका है. यह न्यायिक समीक्षा का मामला नहीं है. अंतरराष्ट्रीय समझौते में दखल नहीं दिया जा सकता है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप अपनी याचिका में लिखी बात पर कायम रहें. हम इस मामले को नहीं सुनेंगे.

उन्होंने कहा कि यह डील सरकारों के प्रमुखों ने की है. इसकी सभी जानकारी सामने आनी चाहिए.

ढांडा ने कहा कि सरकार यह नहीं बता रही है कि राफेल जेट की लागत में हथियार और इसके रखरखाव की कीमत भी शामिल है या नहीं.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ढांडा से पूछा कि आपकी याचिका किस संबंध में है.

एडवोकेट विनीत ढांडा ने कहा है कि अदालत के सामने सबकुछ आना चाहिए.

एडवोकेट एमएल शर्मा ने कहा है कि यह कानून का उल्लंघन और भ्रष्टाचार है. यह विएना कन्वेंशन का भी उल्लंघन है. भ्रष्टाचार के विरोध में अंतरराष्ट्रीय संधियां हुई हैं और देश भ्रष्टाचार के आरोप वाले समझौतों को रद्द कर सकते हैं.

उन्होंने कहा है कि 2012 के समझौते के मुताबिक फ्रेंच संसद के सामने पेश की गई राफेल की असल कीमत 71 मिलियन यूरो है. दसॉ की वार्षिक रिपोर्ट में भी एयरक्राफ्ट की ‘असल कीमत’ का जिक्र है.

शर्मा ने भारत फ्रांस सन्धि के सिलसिले में विएना कन्वेंशन का जिक्र किया. फ्रांस संसद में पेश ओरिजिनल दस्तावेज का हवाला देते हुए राफेल की मूल और असली कीमत 71 मिलियन का दावा किया गया. सरकार पर 206 मिलियन डॉलर के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. 2006 से 2008 के बीच टेंडर हुआ.

क्या है याचिकाकर्ताओं की मांग?

इस मामले की सुनवाई देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे हैं. इस मामले में वकील मनोहर लाल और विनीत ढांडा याचिकाकर्ता हैं. वकील विनीत ढांडा ने याचिका दायर करते हुए मांग की है कि फ्रांस और भारत के बीच आखिर क्या समझौता हुआ है उसे सार्वजनिक किया जाए. इसके अलावा मांग की गई है कि राफेल की वास्तविक कीमत भी सभी को बताई जाए. पिछली सुनवाई याचिकाकर्ता की तबीयत खराब होने के कारण टल गई थी.

देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस मामले में सरकार पर अनियमितता बरतने का आरोप लगाती रही है. हालांकि, सरकार का पक्ष रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर राफेल विमान की कीमतों का खुलासा नहीं किया जा सकता है.

क्या हैं कांग्रेस के आरोप?

राहुल गांधी और कांग्रेस पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉ से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर जो सहमति बनी थी उसकी तुलना में बहुत अधिक है. इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया और एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)