बेंगलुरु
कर्नाटक के सीएम पद को लेकर खींचतान के बीच मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भले ही फिलहाल समझौते के मूड में दिख रहे हों, लेकिन कांग्रेस हाईकमान के सामने अब एक बड़ा प्रश्न खड़ा है. सवाल यह कि क्या राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत है? इसके साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस बार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की वह अधूरी रह गई इच्छा पूरी हो सकती है, जिसमें वह सीएम बनाने का मलाल जताते रहे हैं.
कर्नाटक कांग्रेस में अब दलित विधायकों का दबदबा बढ़ता जा रहा है. वे कांग्रेस की 2023 की भारी जीत में अपनी अहम भूमिका का जिक्र करते हुए उचित प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी के भीतर यह चर्चा तेज हो गई है कि अगर सत्ता संतुलन बदलना ही पड़े तो खरगे जैसा कद और स्वीकार्यता रखने वाला नेता सबसे सुरक्षित विकल्प हो सकता है.
खरगे का नाम इसलिए भी प्रमुखता से उभर रहा है, क्योंकि दलित समुदाय के बीच उनका गहरा प्रभाव है और पार्टी के भीतर भी उन्हें सबसे अनुभवी और भरोसेमंद चेहरा माना जाता है.
Dainik Aam Sabha