कराची
भारी आर्थिक तंगी और आटे-चावल के लिए भी बदहाली से जूझ रहा पड़ोसी देश पाकिस्तान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक उकसावे पर जुनूनी हो गया है। पाकिस्तान में कथित तौर पर तेल भंडार होने के ट्रंप के दावे और दिलचस्पी दिखाने के कुछ महीने बाद, पाकिस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड (PPL) अरब सागर में तेल और गैस की खोज करने के लिए एक कृत्रिम द्वीप बनाने में जुट गया है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान सिंध के तट से करीब 30 किलोमीटर दूर सुजावल के पास एक कृत्रिम द्वीप बना रहा है। यह द्वीप सिंधु नदी के पास है और पाकिस्तान के मुख्य कमर्शियल हब कराची से करीब 130 किलोमीटर दूर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब से डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के तेल भंडार में रुचि जताई है, तब से ही पाकिस्तान सुनहरे सपने देखने लगा है। यही वजह है कि इस्लामाबाद में बैठी कठपुतली सरकार ने अपने ड्रिलिंग प्रयास तेज कर दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां बिना रुके-थके, चौबीसों घंटे ड्रिलिंग का काम हो रहा है। यह स्ट्रक्चर छह फीट ऊंचा होगा ताकि ऑपरेशन को हाई टाइड से बचाया जा सके।
फरवरी 2026 तक काम होगा पूरा
PPL के जनरल मैनेजर अरशद पालेकर के हवाले से ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आइलैंड का कंस्ट्रक्शन अगले साल फरवरी तक पूरा हो जाने की संभावना है। इसके बाद तुरंत वहां ड्रिलिंग ऑपरेशन शुरू हो जाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में PPL का लक्ष्य करीब 25 कुओं की खुदाई करना है। अरब सागर के सिंध बेसिन में जहां ये द्वीप बनाया जा रहा है उसकी भारत से दूरी करीब 60-70 KM ही है।
अबू धाबी से सीखा नकली द्वीप बनाना
ड्रिलिंग के लिए समुद्र से मिट्टी निकालकर आर्टिफिशियल आइलैंड बनाना पाकिस्तान के लिए एक कठिन और दुरूह काम है। यह प्रोजेक्ट देश के लिए पहला है। हालाँकि, यह कॉन्सेप्ट नया नहीं है, और UAE जैसे देशों ने प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ाने के लिए पारंपरिक ऑफशोर रिग की जगह ऐसे आइलैंड बनाए हैं। PPL ने भी अबू धाबी के ड्रिलिंग और कृत्रिम द्वीप बनाने के के सफल प्रयोग से बड़ी सीख ली है और यह प्रोजेक्ट शुरू किया है।
बता दें कि ऐसे आइलैंड मिट्टी, रेत या दूसरे कंस्ट्रक्शन मटीरियल को तब तक जमा करके बनाए जाते हैं जब तक पानी की सतह अंदर तक न पहुँच जाए और एक आइलैंड की सतह न बन जाए। इसका एक बड़ा फ़ायदा यह है कि लोग एक ही आइलैंड पर रह सकते हैं और काम कर सकते हैं, जिससे काम की जगह तक आने-जाने का खर्च और समय कम हो जाता है, जिससे कार्य क्षमता बढ़ जाती है।
Dainik Aam Sabha