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आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने कृषि अवशेष और जंगली घास से विकसित किया पर्यावरण-अनुकूल हरितअरोही कुटीर

कानपुर
 आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने पर्यावरण के अनुकूल निर्माण के लिए एक नया कदम उठाया है। डॉ. दीपक कुमार मौर्य के नेतृत्व में, कुलदीप दीक्षित और श्याम बाबू की टीम ने प्रो. सी.एस. उपाध्याय के मार्गदर्शन में ‘हरितअरोही कुटीर’ नामक एक  ईको-फ्रेंडली हट बनाया है।

इसका उद्घाटन प्रो. एस.एन. त्रिपाठी (डीन, कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी), प्रो. ए. गर्ग (हेड, सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग) और आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ फैकल्टी सदस्यों ने किया। यह परियोजना कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के सहयोग से बनी है।

खास बात यह है कि यह हट पूरी तरह से स्थानीय रूप से उपलब्ध जंगली केन घास और कृषि कचरे से बनाया गया है। इसके पैनल और ईको-ब्रिक की मजबूती, अग्निरोधक क्षमता (1100 डिग्री सेल्सियस तक परीक्षण), नमी प्रतिरोध होने के साथ ही पारंपरिक सामग्रियों की तुलना में अधिक भार सहन करने में सक्षम है।  

इस हट की हर दीवार अलग-अलग प्रकार की टिकाऊ सामग्री जैसे कंस-स्ट्रक्ट ईंट, कंस-क्रीट ईंट, और कंस-बोर्ड। ये सब फसल अवशेष, पौधे से बने रेजिन, चूना, गुड़ और दाल के हैं। पैनल 6-32 टन तक का भार सहन कर सकते हैं, जिससे ये दो-तीन मंजिला भवनों के लिए उपयुक्त हैं।

प्रो. सी.एस. उपाध्याय ने कहा, “हरितअरोही कुटीर केवल पर्यावरण अनुकूल हट नहीं है, बल्कि टिकाऊ निर्माण के लिए एक नया आयाम है। स्थानीय केन घास और कृषि कचरे का उपयोग करके हमने दिखाया है कि प्राकृतिक फाइबर आधारित सामग्री न केवल गर्मी से बचाव करती हैं, बल्कि मजबूत और अग्निरोधी भी हैं। ग्रामीण आवास, आपदा राहत केंद्र, और इको-रिसॉर्ट्स में ये एक बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं।”

यह सामग्री आग, बारिश, प्रभाव और पर्यावरणीय क्षरण के लिए परीक्षण की गई है और टर्माइट्स ही नहीं बल्कि मौसम से भी सुरक्षित है। यह पहल ग्रामीण रोजगार को भी बढ़ावा देने के साथ ही कृषि अपशिष्ट का भी सदुपयोग करती है।

IIT कानपुर के बारे में:
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर की स्थापना 1959 में हुई थी और इसे भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह संस्थान विज्ञान और इंजीनियरिंग शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है और दशकों से अनुसंधान एवं विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता आ रहा है। IIT कानपुर का 1,050 एकड़ में फैला हरा-भरा परिसर शैक्षणिक और अनुसंधान संसाधनों से भरपूर है। इसमें 19 विभाग, 26 केंद्र, 3 अंतरविषयी कार्यक्रम, और 2 विशेषीकृत स्कूल शामिल हैं, जो इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन, मानविकी और प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यरत हैं। संस्थान में 590 से अधिक पूर्णकालिक शिक्षक और 9,500 से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं।
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