Sunday , June 8 2025
ताज़ा खबर
होम / राज्य / मध्य प्रदेश / भोपाल एम्स और पतंजलि ने समझौता साइन किया, संयुक्त रूप से फैटी लीवर डिजीज पर रिसर्च होगी

भोपाल एम्स और पतंजलि ने समझौता साइन किया, संयुक्त रूप से फैटी लीवर डिजीज पर रिसर्च होगी

भोपाल

भोपाल AIIMS और पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के बीच  एक महत्वपूर्ण समझौता (MOU) पर हस्ताक्षर हुए. इस समझौते का उद्देश्य आयुर्वेद, चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है. दोनों संस्थाएं संयुक्त रूप से फैटी लीवर डिजीज और एलर्जी जैसी बीमारियों पर क्लिनिकल रिसर्च करेंगी.

पतंजलि की ओर से अनुराग वार्ष्णेय और एम्स की ओर से प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार ने संयुक्त रूप से बताया, यह एक सकारात्मक पहल है, जो भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को वैज्ञानिक रूप से स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है. रिसर्च ईएमसीआर के मानकों के अनुरूप होगी. सेफ्टी प्रोटोकॉल के तहत एक इंडीपेंडेंट मॉनिटरिंग बॉडी बनाई जाएगी. रिसर्च के दौरान प्रतिभागियों का बीमा कराया जाएगा. सभी नैतिक मानकों का पालन होगा.

अब भोपाल के एम्स अस्पताल में सिर्फ एलोपैथी का इलाज ही नहीं, बल्कि हमारी पुरानी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का खजाना भी मिलेगा। एम्स भोपाल और बाबा रामदेव की पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन मिलकर प्रदेश का सबसे बड़ा हर्बल गार्डन बनाने जा रहे हैं।

एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि यह हर्बल गार्डन कोई साधारण बगीचा नहीं होगा। इसमें सिर्फ मध्य प्रदेश के ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों और पूरे देश में मिलने वाले उन खास औषधीय पौधों को लगाया जाएगा जो शायद आपने पहले कभी न देखे हों। एम्स का मानना है कि इन पौधों में कई बीमारियों को ठीक करने की ताकत है, जिनके बारे में हम भूलते जा रहे हैं।

मध्य प्रदेश की 'रिच ट्राइबल मेडिसिन' ढूंढ़कर निकालेंगे डॉ. सिंह के अनुसार प्रदेश में कई ऐसे इलाके हैं जहां बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय रहते हैं। ये समुदाय सदियों से जंगलों और प्रकृति के करीब रहे हैं। इन समुदायों के पास पेड़-पौधों, जड़ों, पत्तियों और छालों से बीमारियों का इलाज करने का बहुत पुराना और गहरा ज्ञान होता है। यह ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से चलता रहता है। इसे 'समृद्ध' इसलिए कहा गया है क्योंकि इस ज्ञान में कई ऐसी जड़ी-बूटियां और उनके इस्तेमाल के तरीके शामिल हैं जिनके बारे में आधुनिक विज्ञान अभी भी पूरी तरह नहीं जानता।

एम्स और पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन की टीमें ऐसे ट्राइबल वैद्य, हकीम या बुजुर्गों से मिलेंगे, जो इस पारंपरिक ज्ञान को जानते हैं। उनकी मदद से पौधों की पहचान करेंगे। जो जड़ी-बूटियां खोजी जाएंगी, उन पर एम्स में वैज्ञानिक रिसर्च की जाएगी। इससे पता चलेगा कि वे कितनी असरदार हैं, उनमें कौन से रासायनिक तत्व हैं। अगर ये पारंपरिक औषधियां वैज्ञानिक रूप से प्रभावी साबित होती हैं, तो उनसे नई, सस्ती और असरदार दवाएं बनाई जा सकेंगी। इससे आम लोगों को कम खर्च में बेहतर इलाज मिल पाएगा।

ये गठबंधन चिंताजनक…
हालांकि, इस समझौते को लेकर राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया है. कांग्रेस पार्टी ने पतंजलि की विश्वसनीयता और उसके उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए MOU की आलोचना की है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा, सुप्रीम कोर्ट पहले ही पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर सख्त टिप्पणी कर चुका है और कंपनी अदालत में तीन बार माफी मांग चुकी है. ऐसे में उसके साथ सरकारी चिकित्सा संस्थान का गठबंधन चिंताजनक है.

देना होगा पूरा मुआवजा..
कांग्रेस का यह भी कहना है कि जिन मरीजों पर यह ट्रायल किया जाएगा, उनकी सुरक्षा की गारंटी एम्स और पतंजलि दोनों को देनी चाहिए. पार्टी ने आशंका जताई कि कहीं गरीब मजदूरों और आम लोगों पर परीक्षण कर उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो. साथ ही यह मांग भी उठाई कि यदि किसी मरीज को नुकसान होता है तो उसका पूरा मुआवजा पतंजलि और एम्स मिलकर दें.

तीन चरणों में बनेगा यह गार्डन:

    पहला चरण: आसानी से उगने वाले पौधे: शुरुआत में उन औषधीय पौधों को लगाया जाएगा जिन्हें उगाने के लिए किसी खास इंतजाम (जैसे एसी या खास मिट्टी) की जरूरत नहीं होती। ये पौधे भोपाल के मौसम में आसानी से उग सकेंगे।
    दूसरा चरण: मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों की खोज: यह चरण सबसे ज्यादा दिलचस्प होगा। एम्स की टीम मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में जाएगी, जहां आज भी लोग इलाज के लिए अपनी पुरानी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते हैं। इन छुपी हुई औषधियों को तलाशा जाएगा, उनकी पहचान की जाएगी और फिर उन्हें एम्स के हर्बल गार्डन में लगाया जाएगा ताकि उन पर रिसर्च की जा सके। यह हमारी अपनी पारंपरिक दवाओं को दोबारा सामने लाने का एक बड़ा प्रयास होगा।
    तीसरा चरण: पहाड़ और देश-विदेश के खास पौधे: आखिरी चरण में उत्तराखंड में मिलने वाले कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण औषधीय पौधों को लगाया जाएगा। इसके साथ ही, देश भर से कुछ 'एग्जॉटिक' यानी दुर्लभ और खास जड़ी-बूटियों को भी लाया जाएगा। चूंकि इन पौधों को भोपाल के मौसम में जिंदा रखना मुश्किल हो सकता है, इसलिए इन्हें खास 'आर्टिफिशियल सेटअप' (नकली वातावरण) में रखा जाएगा। जिससे वो बिना समस्या के पनप सकें।

पुराने ज्ञान को नए विज्ञान से जोड़ना इस पूरे प्रोजेक्ट का मकसद सिर्फ एक सुंदर बगीचा बनाना नहीं है। यह न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत भी आता है, जिसमें कहा गया है कि मेडिकल की पढ़ाई में हर तरह के इलाज (जैसे एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी) को जोड़कर देखा जाना चाहिए। यानी, मरीजों को सिर्फ एक तरह का इलाज नहीं, बल्कि सबसे बेहतर, सस्ता और असरदार इलाज मिले। चाहे वह किसी भी चिकित्सा पद्धति से क्यों न हो। इसे मॉडर्न साइंस में 'इंटिग्रेटेड मेडिसिन' नाम दिया गया है।

इलाज के साथ-साथ अब होगी रिसर्च भी यह हर्बल गार्डन बनने से दो बड़े फायदे होंगे। पहला, अस्पताल में ही आयुष विभाग के मरीजों के इलाज के लिए औषधीय जड़ी-बूटियां उपलब्ध हो सकेंगी। दूसरा, एम्स में मेडिकल के छात्र इन पौधों पर गहराई से रिसर्च कर सकेंगे। डॉ. सिंह ने बताया कि अभी तक छात्र सिर्फ किताबों में ही इन पौधों के बारे में पढ़ते थे, लेकिन अब वे इन्हें अपनी आंखों से देख सकेंगे, छू सकेंगे और इनके गुणों को समझ सकेंगे। इनपर जांच भी कर सकेंगे।

पांच खास हिस्सों में बंटेगा गार्डन:

    ह्यूमन हेल्थ हर्बल गार्डन: इसमें वे पौधे होंगे जो सीधे इंसानों की बीमारियों के इलाज में काम आते हैं।

    रसायन वन: यह रिसर्च के लिए होगा, जहां पौधों के रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाएगा।

    दुर्लभ एवं लुप्तप्राय औषधि वन: इसमें वे पौधे लगाए जाएंगे जो अब मुश्किल से मिलते हैं या खत्म होने की कगार पर हैं, ताकि उन्हें बचाया जा सके।

    नवग्रह वाटिका: यह ज्योतिष और आयुर्वेद के अनुसार नौ ग्रहों से संबंधित पौधों का समूह होगा।

    अमृता वन: यह एक ऐसा हिस्सा होगा जहां जीवनदायिनी माने जाने वाले पौधों को लगाया जाएगा।

यह पौधे लगाने की योजना

    गुडुची (गिलोय)
    यष्ठिमधु (मुलेठी)
    कुष्ठ
    सारिवा
    मदनफल
    त्रिवृत
    जीमूलक
    कम्पिल्लक
    विडगं
    जटामांसी
    गुग्गुलु
    वासा
    रास्ना
    शल्लकी
    पिप्पली
    चित्रक
    कालमेघ
    पुनर्नवा
    पर्पट
    जीवक
    मेषश्रृंगी
    ब्राह्मी
    आमलकी (आंवला)
    बिल्व (बेल)
    बला
    गम्भारी
    कुटज
    शटी
    अग्नि मंथ
    पारस पीपल
    एलोवेरा (घृतकुमारी)
    दमबेल
    पथरचट्टा
    सतावरी
    पान
    अडूसा
    जाम पत

Slot Gacor Malam Ini Slot Gacor 2025 slot gacor slot dana https://pariwisata.sultraprov.go.id/ Slot777 slot thailand slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor info kabar slot gacor slot gacor slot gacor Slot Gacor Slot Gacor https://edu.pubmedia.id/ https://stikesrshusada.ac.id/ https://ijsl.pubmedia.id/ Situs Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor info kabar Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor slot gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor Slot Gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor https://dakukeren.balangankab.go.id/ slot gacor slot gacor https://elearning.unka.ac.id/ https://jurnal.unka.ac.id/bo/ https://jurnal.unka.ac.id/rep/ slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot mahjong slot gacor pohon169 pohon169 slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor https://jurnal.unka.ac.id/ https://unisbajambi.ac.id/ https://sia.unisbajambi.ac.id/ https://sipp.pn-garut.go.id/ https://fatecjahu.edu.br/ https://poltekkesbengkulu.ac.id/ https://journal.unublitar.ac.id/ https://poltekkes-pontianak.ac.id/ https://conference.upgris.ac.id/ https://kabar.tulungagung.go.id/wop/ Slot Gacor 2025 Slot Gacor Hari Ini slot gacor slot gacor slot gacor
  • toto hk
  • togel hongkong
  • toto hk
  • pg77
  • situs pg77
  • pg77 login