कर्नाटक में सरकार पर कोई संकट न आए इसके लिए कोशिश जारी है लेकिन बागी विधायक कांग्रेस की टेंशन बढ़ाने पर अमादा हैं. बुधवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में 4 विधायक शामिल नहीं हुए. इन विधायकों में हाल में पार्टी आलाकमान के खिलाफ बयान देने वाले रोशन बेग भी शामिल हैं. कांग्रेस विधायक दल के नेता और कांग्रेस-जद(एस) समन्वय समिति प्रमुख सिद्धारमैया ने कहा कि कांग्रेस छोड़ कर कोई नहीं जाएगा और कहीं कोई असंतोष नहीं है.
सिद्धारमैया ने कहा, “हम सभी साथ हैं. यह मजबूत सरकार है और बनी रहेगी. यदि बीजेपी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करती है तो वे लोग सबसे बड़े बेवकूफ होंगे.” बैठक में जो चार विधायक शामिल नहीं हुए उनके नाम हैं रमेश जरकीहोली, आर रोशन बेग, रामलिंगा रेड्डी और बयराती बासवराज.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक रामलिंगा रेड्डी और बयराती बासवराज ने बैठक में शामिल नहीं होने की इजाजत ली थी. लोकसभा चुनाव के बाद रोशन बेग ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों को वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुसलमानों के मन में डर पैदा किया गया और उस डर की वजह से मुसलमान एक खास विचार पर काम करते हैं. इधर पिछले कुछ दिनों में रमेश जरकीहोली का बीजेपी नेताओं से संपर्क बढ़ा है और उनके बीजेपी में शामिल होने की संभावना है.
जेडीएस के साथ बढ़ रही कड़वाहटों को दूर करने के लिए कर्नाटक में जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. गुरुवार को एक मीटिंग में वरिष्ठ नेता एवं मंत्री इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे. कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दिनेश गुंडु राव ने कहा कि पार्टी नेताओं एवं गठबंधन के सहयोगियों का असंतोष को दूर करने के लिए यह समाधान तलाशा गया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और जद(एस) के विधायक दलों की संयुक्त बैठक जल्द होगी.
इधर संकट को देखते हुए कर्नाटक कांग्रेस ने विधायक काम्पली गणेश का निलंबन निरस्त कर दिया है. विधायक काम्पली गणेश पर जनवरी में इगलटन रिजॉर्ट में अपने सहयोगी विधायक के साथ मारपीट करने का आरोप था. बता दें कि कर्नाटक की कुल 28 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 25 पर जीत हासिल की थी. राज्य में कांग्रेस और जद (एस) को मात्र एक-एक सीट पर जीत मिली.
बता दें पिछले साल 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए हुए चुनावों में 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी कर्नाटक में सरकार बनाने के कोशिश में है. बीजेपी ने बाद में एक सीट पर हुए उप-चुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा में अपनी संख्या 105 कर ली. इस सत्ताधारी गठबंधन में कुल 117 विधायक हैं, इनमें 78 कांग्रेस और 37 जद (एस) के हैं. इसे बसपा के एक और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में नेताओं के बीच इस पर कोई आम राय नहीं बन पाई कि तीन खाली पदों को भर कर कैबिनेट विस्तार किया जाए या कुछ मंत्रियों को इस्तीफा दिलवा कर एवं कुछ असंतुष्ट विधायकों को मंत्री बनाकर कैबिनेट में फेरबदल किया जाए. सूत्रों ने बताया कि कई वरिष्ठ मंत्री अपना पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. इसकी वजह से कैबिनेट फेरबदल में काफी मुश्किल आएगी.