सिर दर्द : सिरदर्द प्राय: मानसिक थकान अथवा कशरीर तरह की गडबडी के कारण हो जाया नही माना मे किली अन्य करता है इसे रोग जाता । परन्तु जब वह निरंतर बना रहने लगता है तो इसके कारण व्यक्ति की दिनचर्या प्रभावित होती है और वह किसी भी काम को ढंग से नही कर पाता 1 वैसे सिरदर्द तनाव, मानसिक चिंता, रात मे जागने, अति मैथुन एक तेज धुप या रोशनी मे काम करते रहने की वजह से भी हो जाता है।
निरंतर सिरदर्द रहने से आंखे कमजोर हो जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के मतानुसार, यदि जन्म कुण्डली मे पर पाप ग्रहो की दुटि हो तो सिरदर्द का रोग होता है मेष राशि पर शनि, राहु या 1 या केतु की दृष्ट होने पर भी सिरदर्द का रोग होता है मंगल – राहु तथा सूर्य – शनि का योग भी इसका कारक माना गया है। उपाय:- पुखराज या नीलम को तांबे की अंगूठी मे जड़वाकर पहने अथवा भोती, माणिक्य और पन्ना पहनना भी लाभप्रद है इस रोग के निवारण मे नवरत्न का पैण्डिल गले मे पहनना सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।
मधुमेह (शुगर) डायबिटीज
इस रोग को शुगर तथा ड्रायबिटिस के नाम से भी है मधुमेह वंशानुगत रोग है परन्तु अधिकांश मागलो ता यह रोग एक प्रकार से लोकलाज माना गया केवल दवाओं के माध्यम से इसकी नियंत्रण में रखा जा सकता है कमी हो जाती है, तो ‘शरीर के अंदर इंसुलिन यह रोग उत्पन्न हो जाता है लम्बे समय तक तो इस रोग का पता भी नही चलता जाना जाता ज्योतिष शास्त्र मे ‘पापी ग्रह अनुसार, यदि कर्क, वृश्चिक अथवा मीन राशि मे दो या अधिक हो तो मधुमेह रोग होने की संभावना अधिक रहती है यदि ब्रहस्पति लग्नेश के साथ मे हो और तुला छठे भाव राशि मे अधिक पापी ग्रह होने पर भी मधुमेह रोग होने की अंगांका, बराबर रहती है जन्म कुण्डली मे इषित शुक्र और चन्द्रमा भी मधुमेह होने का संकेत देते है चन्द्र- शुक्र पर मंगल – सूर्य का योग भी मधुमेह रोग होने की संभावना को दर्शाता है. छठे भाव का स्वामी अष्टम भाव मे और अष्टम भाव का स्वामी छठे हो तो भाव भी मधुमेह रोग हो जाता है) सकता है।
उपाय:- मधुमेह रोग निवारण हेते लग्नेश का रत्न अवश्य पहने।
पीला पुखराज तथा लाल मूंगा पहनना भी इस रोग को नियंत्रण मे रखने के लिए लाभदायक माना गया है!
– एस्ट्रो सोनिया सोनी राठौड़
इंदौर, मध्यप्रदेश