भोपाल : एक्सेस डेवलपमेंट सर्विसेज, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एम.पी.एस.आर.एल.एम.) एवं वालमार्ट फाउंडेशन के सहयोग से एक दिवसीय कार्यक्रम एफ.पी.ओ. मार्केट प्लेस एवं कॉन्क्लेव – मध्य प्रदेश 2023 का आयोजन राज्य कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण संस्थान (सिएट) में आज दिनांक १५ मार्च २०२३ दिन बुधवार को किया गया। कॉन्क्लेव में संस्थागत व्यापारियों/खरीदारों, एग्री इनपुट आपूर्तिकर्ताओं, बैंकों/वित्तीय संस्थानों, गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान, बीमा कंपनियों, कृषि तकनीकी सेवा प्रदाताओं, वेयरहाउसिंग कंपनियों आदि के साथ राज्य से किसान उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) और एफ.पी.ओ. प्रमोटर संस्थाओं के 250 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
एफ पी ओ मार्केट प्लेस एवं कॉन्क्लेव – मध्य प्रदेश 2023 कृषि उत्पादन, तकनीक एवं विपणन से जुड़े विभिन्न संस्थानों एवं कृषक उत्पादक संघठनों को एक साथ लाकर एक संवाद स्थापित करने का प्रयास है।
कॉन्क्लेव के विशिष्ट अतिथि निरुपम मेहरोत्रा, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, मध्य प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय, भोपाल नें कॉन्क्लेव का शुभारम्भ अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। स्वागत भाषण एक्सेस डेवलोपमेन्ट सर्विसेज की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राधिका अगासे ने प्रस्तुत किया। कॉन्क्लेव के पहले चरण में विशिष्ट अतिथि एवं विषय विशेषज्ञों ने कॉन्क्लेव को सम्बोधित किया दूसरे चरण में पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया।
एफ पी ओ में इसके कुछ मापदंड बनाये गए हैं कि 300 से अधिक सदस्य होने चाहिए। 300 से ज्यादा सदस्य होने पर सफलता की संभावना अधिक रहती है। एफ पी ओ कंपनी एक्ट और कोआपरेटिव एक्ट दोनों में बना सकते हैं। इस समय ये माना जाता है कि कंपनी एक्ट लगाने पर जो सुविधाएं तो मिलती ही हैं साथ ही कंपनी चलाने के लिए नियमों की जरूरत होती है। इन नियमो को बांधने की दृष्टि से ना देखा जाये उनको कंपनी सुचारु रूप से चलाने के लिए जरूरी समझा जाये। एफ.पी. ओ. को दैनिक कई समस्यांओ का सामना करना पड़ता है उनको सी.ए. की अकॉउंटिंग की आवश्यकता होती है, कई बार पैनल्टीज़ भी लग जाती हैं। एफ.पी.ओ. द्वारा कॉमन सर्विस सेण्टर के रूप में काम किया जा सकता है जिसमे 400 से अधिक सर्विसेज एफ.पी.ओ. डिजिटल इंडिया के तहत उपलब्ध करा सकते हैं। यह एक अन्य आय का साधन हो सकता है।
एफ.पी.ओ. की मूल अवधारणा में कई चीजे जुड़ती चली आ रही हैं। 1992 में नाबार्ड ने एस.एच.जी. बैंक लिंकेज प्रोग्राम लेकर आया था जो कि आज वो दुनिया का सबसे बड़ा माईक्रोफिनांस मूवमेंट का प्रोग्राम है। बैंक लिंकेज प्रोग्राम में रास्ता तय करने में 25 साल का समय लगा लेकिन एफ.पी.ओ. का जो रास्ता है इसमें सपोर्ट सिस्टम होने के कारण 5 से 7 साल का समय ही लगेगा। सबसे मह्त्वपूर्ण है मार्केट, मार्किट की नीव और मार्केट की समझ से जुड़ा जाये तो एफ पी ओ के लिए रास्ता आसान हो जायेगा। एक्सेस के द्वारा जो रिसोर्स बुक का अच्छा संस्करण निकला गया है। एफ पी ओ की मुख्य समस्या फाइनेंसिंग की है। नाबार्ड की अपनी सब्सिडरी है, नैब किसान इस दिशा में काम कर रहा है। एक्सेस डेवलपमेंट सर्विसेज को कॉन्क्लेव आयोजित करने के लिए धन्यवाद आने वाले समय में ऐसे और भी प्रोग्राम करेंगे।
एक्सेस डेवलपमेंट सर्विसेज़ के सीईओ विपिन शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा की एफ पी ओ को वैल्यू चैन आगे लेकर जाने की आवश्यकता है जिससे की उनकी सतत आजीविका सुनिश्चित की जा सके । यह कार्यक्रम राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एम.पी.एस.आर.एल.एम.) एवं वालमार्ट फाउंडेशन के सहयोग से कर पा रहे हैं। एक्सेस में हम को लगता है की महिलाओं के ऊपर ज्यादा फोकस करना चाहिए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके , हमारा प्रयास है की हम देश में ऐसे मॉडल एफ.पी.ओ. बनायें जिनमे सभी शेयरहोल्डर्स महिलाये ही हों। उदाहरण स्वरुप उदाहरण स्वरुप कुछ महिलाओं के एफ.पी.ओ. का टर्न ओवर 1 करोड़ के ऊपर है जो दूसरे एफ.पी.ओ. के लिए प्रेरणा का श्रोत है।
एक्सेस डेवलपमेंट सर्विसेज़ के चिंतन मेघवंशी ने कहा एफ पी ओ के लिए हमारा फोकस आउटपुट मार्केटिंग पर है आज 17 एफ.पी.ओ. का टर्नओवर 10 करोड़ के ऊपर है।
कॉन्क्लेव के अंत में पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। कॉन्क्लेव में महिला किसान फार्मर प्रोडूसर कंपनी (एफ पी सी) की चैयरमेन सुनीता प्रजापति और विजयगंज मंडी फार्मर प्रोडूसर कंपनी (एफ पी सी) की चैयरमेन चिंतामणि पाटीदार ने भी सम्भोधित किया। कॉन्क्लेव में प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया जंहा पर एस्कॉर्ट्स कुबोटा, समुन्नति फाइनेंस, एग्रीबाज़ार, एग्रोनेक्सट, एसबीआई, फार्मबेरी अदि कंपनियों द्वारा स्टाल लगाए गए थे। प्रदर्शनी में विभिन्न एफ.पी.ओ. द्वारा अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया गया।