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भारतीय परम्परा सिल्क एक्स्पो प्रदर्शनी व सेल का आयोजन भोपाल में

– महिलाओ को लुभा रही है तमिलनाडु की कंजीवरम सिल्क

भोपाल : ‘भारतीय परम्परा सिल्क एक्स्पो का आयोजन शिल्पकारो को सशक्त बनाने के उद्देश्य से भोपाल में किया जा रहा है. ‘भारतीय परम्परा सिल्क एक्सपो’ की प्रदर्शनी व सेल दिनांक 27 जनवरी से 10 फरवरी 2023 तक के लिए अयोजित की जा रही है. यह प्रदर्शनी सुबह 10:30 से रात्रि 9:30 तक चलेगी, यह भोपाल के महाराणा प्रताप भवन रविशंकर नगर, चार ईमली, मेन रोड भोपाल पर लगी है. प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ से कोसा, घिचा, मलबरी रॅा सिल्क, एब्लॉक प्रिंटेड सिल्क साड़ी गुजरात से बान्धनी, पाटोला कच्छ एम्ब्रोयडरी, मिरर वर्क एवं डिजाइनर कुर्ती, मध्य प्रदेश से चंदेरी, महेश्वरी काटन एण्ड सिल्क साडी सूट, डकारी जामदानी एवं बनारसी सिल्क, तान्चोयी सिल्क, मैसूर सिल्क की साड़ीयो के साथ धर्मावरम तस्सर, ढाका, वही डिजाइनर ब्लाउज , सलवार सूट, पंजाब की फुलकारी वर्क सूट व् साडी हैदराबाद की हैवी नेकलेस, नोज पिन , रिंग, बैंगल्स, मांग टीका, कमरबंद, और मुंबई वेस्टर्न पैटर्न ज्वैलरी व पालकी ज्वैलरी भी है साड़ी और सूट की 25000 वैरायटी के साथ ब्राइडल वियर , विंटर कलेक्शन तथा पश्मीना शाल की भारी रेंज भी उपलब्ध है. प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्व हिन्दू परिषद के मध्य भारत कर क्षेत्रीय संग़ठन मंत्री मनोज वर्मा द्वारा दीप प्रज्वलित और रिबन काट कर के किया गया.

मैनेजेर संजय प्रजापति ने बताया कि संस्थान द्वरा आयोजित ’भारतीय परम्परा सिल्क एक्सपो प्रदर्शनी व सेल देश भर से आए सिल्क बुनकरों व डिजाईनरो ने अपने अपने प्रदेश संस्कृति काव्य और त्यौहार को सिल्क पर छापा है. एक्जीवीशन में गुजरात की पटोला सिल्क , तेलांगना की उपाडा सिल्क तमिलनाडु की कांजीवरम सिल्क , महाराष्ट्र की पैठानी सिल्क, पर गई कलाकारी लोगो को अपनी ओर खीच रही है. मैनेजर संजय प्रजापति ने बताया कि महाराणा प्रताप भवन रविशंकर नगर , चार ईमली , मेन रोड भोपाल में आयोजित ’भारतीय परम्परा सिल्क एक्स्पो का मकसद देशभर के सिल्क उत्पादों का एक ही छत के तले प्रदर्शनी करना है इस प्रदर्शनी में पश्चिम बंगाल के काला हस्ती से आए बुनकर ने भगवान श्री कृष्ण के नोका विहार का द्रश्य सिल्क पर पेंट किया किया है. इस द्रश्य में भी तमिलनाडु से आए बुनकर 1 ग्राम सोने की जरी से तैयार साड़ी लेकर आऐ है इस ट्रेडिशनल कांजीवरम साड़ी को बनाने में 2 माह का समय लगा है आंध्रा के पोचमपल्ली से आए डिजाईनर ने सिल्क पर ग्रामीणों के जनजीवन को उकोरा है. गांवो के मेले खेतो में जाती बैलगाड़ी के द्रश्य और आदिवासी जनजीवन की झलक सिल्क को खास बना रही है इसी साड़ियो को लधाख के त्रिपुड़ा में भेड़ो के बाल को सूतकर बनाया जाता है. और फिर इन पर पेंटिंग की जाती है. दस साड़ियो पर बनी डीजायनो में कश्मीरी केशर की डीजायन के साथ ही कश्मीरी कहावा भी है| राहुल गुप्ता, मो नसीम , मो सलीम, गोवर्धन गुडला, बैश अंसारी, रमेश महाराणा आदि प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित रहे.

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