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1984 त्रिलोकपुरी सिख दंगे: दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखी दोषियों की सजा

पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के 88 दोषियों की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. निचली अदातल ने 1996 में सभी 88 दोषियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई थी. दोषियों ने इस सजा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसपर 22 साल बाद ये फैसला आया है. बता दें कि 88 दोषियों में 47 ही जीवित हैं. कोर्ट ने सभी को चार हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है.

गौरतलब है कि पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में हुए दंगों में 95 शव बरामद हुए थे लेकिन किसी भी दोषी पर हत्या की धाराओं में आरोप तय नहीं हुए थे. पिछली सुनवाई में सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

दंगा भड़काने, घरों को जलाने और धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में 1996 में 107 लोगों को कड़कड़डूमा कोर्ट ने 5 साल की सज़ा सुनाई थी, जिसके बाद 88 लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट में सज़ा के ख़िलाफ़ अपील की थी.

गौरतलब है कि सभी 88 दोषियों पर निचली अदालत में ये आरोप साबित हो गए थे की इन लोगों ने 2 नवंबर 1984 को कर्फ्यू का उल्लंघन कर हिंसा की थी. उस हिंसा में त्रिलोकपुरी में करीब 95 लोगों की मौत हो गई थी और करीब सौ घरों को जला दिया गया था. ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ इन लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

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